कवि सुमित मानधना 'गौरव' ( "कुछ मेरी कलम से ")
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6 months ago
आतंकी थे बड़े ही निष्ठुर, खेल रचा ये उन्होंने क्रूर। जो थे अपने परिवार से दूर, मार डाले कितने ही बेकसूर। बात ये चुभ गई बन नासूर, शुरू किया ऑपरेशन सिंदूर। सेना ने दिखाया जोश प्रचुर, सभी ने साथ दिया भरपूर। हो गया पाकिस्ता मज़बूर, सोचा घुटने टेक देगा मगरूर। तबाही मचाना इसका फितूर, पाकिस्तान को मिटा दो हुज़ूर, तब होगा इसका अहम दूर। करेंगे इस पर हुकूमत भरपूर, पाकिस्तान को बना देंगे मज़दूर। नाम होगा हमारा मशहूर, जब इसे पहनाएंगे कर्णपुर। शेरे भारत पाकिस्तान तमचूर, कायर साथ अपने रखता है मंसूर। भारत है एक हीरा कोहिनूर, युद्ध रोकने की शर्त होगी नामंजूर। ✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'🇮🇳 #" रूबरू करवाता हूं आपको कुछ मेरी कलम से, कुछ मेरे हुनर से "