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पंकज बलवाड़ी
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पंकज बलवाड़ी
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4 दिन पहले
लो एक और बढ़िया खबर सुनो। मैं पहले दिन से कह रहा हूं टैरिफ आपदा नहीं अवसर है। भारतीय कंपनी जोहो ने नया ब्राउजर लांच किया है । सबसे बड़ी बात यह है कि यह ब्राउज़र गूगल क्रोम को कड़ी टक्कर दे रहा है । अब हम अमेरिका पर निर्भर नहीं हैं बल्कि आत्मनिर्भर हैं। पहले माइक्रोसॉफ्ट और अब गूगल के कम्पटीशन में ब्राउज़र आ गया है इस ब्राउज़र का नाम ऊला ब्राउज़र है । दावा किया जा रहा है कि ऊला ब्राउज़र गूगल क्रोम से भी बहुत बेहतरीन है । आत्मनिर्भर भारत का एक और बढ़ता कदम। लगता है भारतीय इंजीनियर अमेरिका की मिट्टी पलीद करके ही मानेंगे। जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम। #आत्मनिर्भर भारत #आत्मनिर्भर भारत अभियान #स्वदेशी अपनाओ स्वदेशी चलाओ #स्वदेशी अपनाओ विदेशी भगाओ अभियान
पंकज बलवाड़ी
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6 दिन पहले
आज बीएसएनएल ने पूरे देश में 4G service लॉन्च की. मैंने सोशल मीडिया पर देखा कि लोग इसका मज़ाक उड़ा रहे हैं.... कि बीएसएनएल 10-15 साल पीछे रह गया दुनिया से. बात कुछ हद तक सही है. लेकिन यहाँ हमारे देश ने एक बहुत बड़ी चीज Achieve की है... जिसके बारे में आपको पता होना चाहिए. बीएसएनएल ने यह काम किया है पूर्ण स्वदेशी Stack बना कर... इसका मतलब.... सभी Telecom Components, सारे हार्डवेयर Software, और यहाँ तक कि Mobile Towers भी पूरी तरह से देसी तकनीक से बने हैं. अब आप पूछेंगे... कि इसमें कौन सी बड़ी बात हो गई. बड़ी नहीं.. बहुत बड़ी बात है. इस उपलब्धि के साथ भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जो अपनी खुद की टेलीकॉम तकनीक विकसित कर सकते हैं, जैसे डेनमार्क, स्वीडन, दक्षिण कोरिया और चीन। जी हाँ... दुनिया में भारत पांचवा देश बन गया है... जो बिलकुल scratch से 4G technology और तमाम Telecom Components को स्वयं बना सकता है.... पूरी तरह 100% भारतीय. अब प्रश्न है कि यह Stack क्या बला है. आप फ़ोन इस्तेमाल करते हैं.... उसके लिए आपके पास तो आपका हैंडसेट होता है.... लेकिन backend पर सर्वर्स हैं, Software काम करता है... तमाम तरह के Switch Routers converters, Towers और ना जाने कैसे कैसे हजारों तरह के components होते हैं. यह स्टैक सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर—दोनों स्तर पर देश में ही विकसित किया गया है, जिससे भारत टेलीकॉम क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन गया है। यह तकनीक न केवल किफायती और सुरक्षित है, बल्कि इसे भविष्य में 5G और 6G के लिए भी तैयार किया जा सकता है। देश के दूरदराज़, ग्रामीण और सीमावर्ती इलाकों तक मजबूत डिजिटल कनेक्टिविटी पहुंचेगी और डिजिटल इंडिया अभियान को नई ताकत मिलेगी स्वदेशी 4G स्टैक की सुरक्षा खूबियां निम्नलिखित हैं: यह नेटवर्क पूरी तरह भारतीय डेटा संप्रभुता कानूनों के अनुरूप है, जिससे डेटा की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित होती है।इसमें उन्नत एन्क्रिप्शन तकनीक का प्रयोग किया गया है जो कॉल कनेक्टिविटी और डेटा फ्लो को सुरक्षित रखता है। सीमा क्षेत्रों और सुरक्षा-संवेदनशील इलाकों में भी यह नेटवर्क सुरक्षित सेवा प्रदान करता है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती मिलती है। क्लाउड-आधारित तकनीक और सॉफ्टवेयर-डिफाइंड नेटवर्किंग (SDN) के इस्तेमाल से नेटवर्क स्केलेबल और फेल-सेफ होता है, साथ ही रिमोट प्रबंधन की सुविधा भी देता है। क्योंकि यह पूरी तरह स्वदेशी तकनीक है, इसलिए इसमें कोई विदेशी बैकडोर या संदेहास्पद सुरक्षा खतरे नहीं होते। यह सुरक्षा खूबियां भारत को टेलीकॉम सेक्टर में आत्मनिर्भर बनाती हैं और डिजिटल इंडिया को मजबूती देती हैं, खासकर ग्रामीण और सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षित कनेक्टिविटी प्रदान करने में. सबसे बड़ी बात.... क्यूंकि stack हमारा है..... अब हम आराम से 5G और 6G पर अपग्रेड कर सकते हैं... बिना किसी अन्य देश पर निर्भरता के. इस काम में TCS, तेजस Networks,और CDOT ने बड़ी भूमिका निभाई है. इन सबने मिल कर बीएसएनएल के लिए 97,500 Telecom Towers बनाये हैं. #bsnl 4g network
पंकज बलवाड़ी
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14 दिन पहले
आपका वोट आपकी ताकत है... किसी के बहकावे में न आएं, SIR क्यों जरूरी है, सब जानें! ✅ नए मतदाताओं का नाम जोड़ने के लिए ✅ पहले छूटे हुए नाम शामिल करने के लिए ✅ अयोग्य मतदाताओं को हटाने के लिए ✅ मृत या बाहर गए मतदाताओं के नाम हटाने के लिए ✅ मतदाता सूची में गलत या अधूरी जानकारी सुधारने के लिए #चुनाव आयोग
पंकज बलवाड़ी
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15 दिन पहले
मेरी माता बहनों 9 दिन माता का रूप धारण कर गरबा पंडाल में दुर्गा माता की शक्ति की आराधना करने जाना रावण की बहन शूर्पणखा बनकर किसी जिहादी को खुश करने मत जाना अगर शूर्पणखा के रूप में कोई बहन गरबा पांडालों में दिखी तो बजरंग बली के साथ भैया लक्ष्मण भी ऐसी शूर्पणखा की नाक काटने के लिए घूमते मिलेंगे इसलिए नवरात्रि के गरबा पांडालों में दुर्गा बनकर आए शूर्पणखा बनकर नहीं!!!! #नवरात्रि #गरबा
पंकज बलवाड़ी
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22 दिन पहले
PM मोदी को मणिपुर में SPG ने कैसे पहुंचाया? चौंकाने वाली तस्वीर आई सामने: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब मणिपुर की राजधानी इंफाल पहुंचते हैं तो पायलट साफ कहता है सर उड़ान भरना संभव नहीं है, जबरदस्ती उड़ान भरने का मतलब खतरा बड़ा हो सकता है. एसपीजी कमांडो भी अपने वीवीआईपी को किसी भी हाल में खतरे में नहीं डालना चाहते, इसलिए एसपीजी अपना ब्लू बुक निकालती है, जिसमें रूट मैप के साथ-साथ इमरजेंसी एग्जिट का प्लान भी लिखा होता है, लेकिन यहां पीएम मोदी एग्जिट को तैयार नहीं थे, वो सिर्फ दो सवाल पूछ रहे थे... पहला, चुराचांदपुर जाने में कितना वक्त लगेगा, और दूसरा, बिना वहां के लोगों से मिले लौटने का कोई प्लान नहीं बनेगा. अब यहां आप एसपीजी का दिमाग देखिए. SPG को ये बात पता थी कि जिस रास्ते से मोदी जाना चाहते हैं, उसी रास्ते पर कल तोड़फोड़ हुई है। एयरपोर्ट वाले एरिये में मैतई समुदाय के लोग ज्यादा हैं, जबकि वहां कुकी समुदाय के लोग ज्यादा हैं,कहीं-कहीं सड़कें संकरीं और घुमावदार हैं, लैंडस्लाइड का खतरा भी बीच-बीच में पहाड़ों में बना हुआ है। ये भी ख़बर मिलती है इंफाल के कांगला किले के कुछ हिस्सों में घुटनों तक पानी भर गया है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंसा के दौरान विस्थापित लोगों से मिलने वाले हैं. इसीलिए एसपीजी के जवान वहां से सीधा स्थानीय पुलिस के साथ-साथ 60-70 किलोमीटर के इलाके का पूरा मौसम अपडेट भी लेते हैं, ताकि किसी भी संभावित खतरे से आसानी से निपटा जा सके. जिस एयरपोर्ट पर मोदी थे वहां से करीब 60-70 किलोमीटर दूर बने रैली स्थल में पड़ने वाले हर नाकेबंदी और पुलिस थाने को अलर्ट किया जाता है. वहां के आईपीएस ऑफिसर खुद मोर्चा संभालते हैं, और कुछ ही मिनट के भीतर, कई ब्लैक शीशे वाली गाड़ियां वहां खड़ी होती हैं, पीएम मोदी को जो गाड़ी दी जाती है, उसकी डमी गाड़ियां भी तैयार हो जाती हैं, मोदी का काफिला एयरपोर्ट से निकल पड़ता है, लेकिन बीच रास्ते इतनी भयंकर बारिश होती है कि ज्यादा दूर तक कुछ भी देखना संभव नहीं था, फिर भी तकनीक से लैस एसपीजी के जवान हर पल, हर कदम की ख़बर ले रहे थे, और सबने राहत की सांस तब ली जब पीएम मोदी चुराचांदपुर पहुंचे। वहां लोगों से मुलाकात की. जहां पीएम मोदी को देखते ही एक बच्ची रोने लगी, ये वो तस्वीर थी जिसने मोदी को भी भावुक कर दिया, वहां की महिलाएं, वहां के पुरुष, वहां के बच्चे, और वहां के बुजुर्ग सभी मोदी से मिलकर अपना दुख सुनाना चाहते थे, जिसे मोदी ने सुना भी. हालांकि फिर भी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे मोदी को इसके लिए राजधर्म की याद दिलाते हैं, वो ट्वीट कर लिखते हैं, '' मणिपुर में आपका तीन घंटे का पड़ाव करुणा नहीं है। यह एक दिखावा और घायल लोगों का घोर अपमान है। आज इंफाल और चुराचांदपुर में आपका तथाकथित रोड शो, राहत शिविरों में लोगों की चीखें सुनने से बचने का एक कायराना प्रयास है. आपका राजधर्म कहां है?'' हालांकि कल से ही कांग्रेस के समर्थक वहां पर तोड़फोड़ और प्रदर्शन कर रहे थे.. हालांकि कांग्रेस को ये भी बताना चाहिए कि जब उसने दशकों तक नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को विकास से दूर रखा, एक ट्रेन तक मिजोरम से दिल्ली नहीं चलाई, तब उसका राजधर्म कहां था, ये सवाल सियासत के नहीं बल्कि आम जनता के विकास से जुड़े हैं. यही वजह है कि मोदी पायलट के मना करने के बाद भी मणिपुर सड़क मार्ग से जाते हैं, और कहते हैं अच्छा हुआ मेरा हेलीकॉप्टर उड़ नहीं पाया, वर्ना रास्तेभर लोगों को ये प्यार नहीं देख पाता. जो मणिपुर कुछ वक्त तक पहले तक अशांत था, जहां दो समुदाय की लड़ाई ने राज्य को हिंसा में झोंक दिया, उन दोनों समुदायों के लोगों से मुलाकात कर मोदी ने शांति की अपील की है, और इन सबके बीच एसपीजी कमांडो ने जिस तरीके से आपात स्थिति में पीएम मोदी की सुरक्षा व्यवस्था संभाली, रूट मैप बदला, वो काबिले तारीफ है। #प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
पंकज बलवाड़ी
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1 महीने पहले
#GST रिफॉर्म्स बेहतरीन हैं, टैक्स कम हुआ है, लेकिन गौर से देखिए, बारीकी से देखने पर ऐसा लग रहा है जैसे घर के किसी बड़े ने घरवालों की सेहत और घर को उन्नति के लिए नियम बनाए हो 1 पनीर, दुग्ध, रोटी, परांठा टैक्स फ्री, घी, सूखे मेवे काजू पिस्ता बादाम आदि पर टैक्स कम, कोल्ड ड्रिंक फास्ट फूड पर टैक्स बढ़ाया, यानी सेहतमंद खाओ उल्टा सीधा नहीं जंक फूड नहीं 2 सिगरेट शराब पुड़िया तंबाकू पर टैक्स बढ़ा यानि इन सब चीजों से दूर रहे 3 साबुन टूथपेस्ट तेल शैंपू शेविंगक्रीम आदि रोजमर्रा की चेजों पर टैक्स कम ताकि घर आराम से चल सके 4 रबर पेंसिल मैप्स ग्लोब चार्ट्स कॉपी टैक्स फ्री ताकि बच्चे खूब पढ़ सकें आगे बढ़ सकें 5 घर का सामान जैसे AC TV फ्रिज वॉशिंग मशीन आदि पर टैक्स कम ताकि घर पर बोझ ना बढे और आप आराम से जीवन व्यतीत कर सकें 6 घर बनाने की सामग्री जैसे सीमेंट आदि पर टैक्स कम ताकि हर परिवार अपना घर बना सके 7 हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस टैक्स फ्री यानी परिवार की सुरक्षा सर्वोपरि ताकि विपत्ति की स्थिति में आपको परेशान ना होना पड़े 8 जीवन रक्षक दवाएं टैक्स फ्री, बाकी दवाओं और मेडिकल उपकरणों पर न्यूनतम टैक्स ताकि आपको दवा सस्ती मिल सके, मेडिकल टेस्ट भी सस्ते 9 ट्रैक्टर, कटाई मशीन, अन्य उपकरण, टैक्सी ऑटो रिक्शा आदि पर टैक्स कम ताकि आपकी आजीविका का इंतज़ाम हो सके, आप काम करें 10 छोटी कारों पर टैक्स कम लक्जरी कारों पर टैक्स ज्यादा, 350 सीसी से कम की बाइक पर टैक्स कम, यानी फालतू का दिखावा मत करो, जरूरत की उपयोगी चीज लो जैसा आपके पिता आपको समझते है कि जीवन कैसे जीना है यह टैक्स स्लैब बिल्कुल वैसा ही है, ऐसा लगता है जैसे घर के बड़ों ने बैठ कर टैक्स स्लैब बनाया हो, ताकि सेहत बनी रहे, घर चलने में दिक्कत ना हो, बच्चे पढ़ सके, घर का जरूरी सामान आ सके, नया घर बन सके, घर का कमाऊ मेंबर और घर वाले सुरक्षित रहे, जरूरत पड़ने पर इलाज करा सकें, सब काम धंधे में लगें, और कोई फालतू दिखावा ना करे बस इतना ही है GST रिफॉर्म, मेरी नजर में यह बजट से भी बेहतर है, इसमें वो सबकुछ है जो मैं सरकार से पिछले कई सालों से मांग रहा था, ऐसा लग रहा है जैसे सरकार ने नहीं यह GST रिफॉर्म मैने खुद ने किया है वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और प्रधानमंत्री मोदी का यह अब तक का सबसे बेहतरीन फैसला है, इसकी जितनी तारीफ की जा सके उतनी कम है। #प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
पंकज बलवाड़ी
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1 महीने पहले
* मित्रो अब तो कालचक्र पलट चुका है,,,!..* * मित्रो नोट बंदी की खुदाई शुरू की तो समझ आया कि ये काले धन से कहीं बड़ी लड़ाई है..* * उसी समय अमेरिका में ट्रम्प उभर रहा था..* * जो टैरिफ की बात करता था..* * ग्लोबल सप्लाई चेन पर वार करना चाहता था..* * फिर समझ आया कि वेस्ट एशिया में लड़ाई असल में डॉलर के वर्चस्व की लड़ाई है..* * यूरो युआन रूस और ब्रिक्स की चालें देखीं..* * तो समझ आया कि अमेरिका की छटपटाहट असली है..* * फिर इलुमिनाती, IMF, वर्ल्ड बैंक सोने की भूमिका, पेट्रो डॉलर और भारत का गिरवी रखा सोना तक जाते जाते समझ आया..* * कि पूरी वैश्विक व्यवस्था शिफ्ट हो रही है..* * और भारत उसके केंद्र में आ रहा है..* * मोदी क्यों UPI लाये..* * क्यों डिजिटल इंडिया स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया शुरू किया..* * क्यों 4G क्रांति लाई गई..* * क्यों DBT और GST जरूरी था..* * अब समझ में आता है..* * ये सब * * “डिजिटल टैरिफ वार”* * से पहले देश को खड़ा करने की एक तैयारी थी..* * 2014 में भारत की स्थिति भयानक थी..* * फ्रेजाइल 5 में गिने जाने वाला देश..* * बैंकों के दिवालिया होने की नौबत..* * विदेशी कर्ज का बोझ..* * फर्जी आंकड़ों से जनता को गुमराह करने की नौबत आ गई थी..* * मोदी को श्वेतपत्र लाने की सलाह दी गई थी..* * लेकिन उन्होंने चुना सुधारों का रास्ता..* * अघोषित दिवालिया से देश को उबारा गया..* * 2014 से 2019 तक का काल..* * पूरी तरह इकोनॉमिक स्टैबिलिटी के लिए समर्पित रहा..* * नोटबन्दी, GST, RERA, इंसोल्वेंसी, आधार, लीकेज रोकना, बेनामी संपत्ति पर वार, UPI, मोबाइल सस्ता, इंटरनेट क्रांति, फ्रीबिज को वेलफेयर स्कीम में तब्दील करना..* * ये सब एक प्लान का हिस्सा था..* * न कि कोई जुगाड़..* * विपक्ष को लगता था..* * कि मोदी का आना तुक्का है..* * लेकिन 2019 में जब मोदी फिर आए..* * तो विपक्ष सन्न रह गया..* * फिर मोदी ने 370 हटाया..* * राम मंदिर का फैसला आया..* * CAA आया..* * NRC की तैयारी शुरू हो गई..* * लेकिन फिर CCP और ग्लोबल लॉबी एक्टिव हो गई..* * दिल्ली दंगे शाहीन बाग कोरोना अमेरिका में BLM * * सब “प्रयोग” की तरह हुए..* * ट्रम्प को हटाने का "प्रयोग" अमेरिका में सफल हुआ..* * वहीं भारत में भी मोदी को हटाने का “प्रयोग” शुरू हुआ..* * ट्रम्प के दौरे से पहले, "दिल्ली दंगे"..* * कोरोना का आतंक..* * वैक्सीन लॉबी..* * विदेशी मीडिया का प्रोपेगेंडा..* * किसान आंदोलन और* * सुप्रीम कोर्ट का "स्टे गेम"* * कृषि कानून को रोकना पड़ा..* * लेकिन साजिश समझ में आ चुकी थी..* * अब लड़ाई * * "इकोनॉमिक नेशनलिज्म" बनाम * * "ग्लोबल टूलकिट" की है..* * इस बीच ट्रम्प को भी “सिस्टम” ने हरा दिया..* * सीआईए, USAID, सोरोस, क्लिंटन गिरोह सब एक्टिव थे..* * ट्रम्प ने हार नहीं मानी..* * लेकिन रबर स्टैम्प बनने से बच नहीं सके..* * मोदी ने भी देखा..* * कि भारत में भी यही “सिस्टम” सक्रिय है..* * रवीश कुमार, वामपंथी, NDTV से लेकर अर्बन नक्सल और टूलकिट गैंग तक..* * अब मोदी ने तीसरी बार आने की रणनीति तैयार की..* * वक्फ बोर्ड अवैध मदरसे तमिलनाडु केरल जैसे भाषा व क्षेत्रवाद पर खेलने वालों पर वार शुरू हुआ..* * जनगणना, NRC, डिलिमिटेशन, वक्फ कानून संशोधन..* * ये सब 2026 तक की योजना का हिस्सा है..* * उधर अमेरिका में ट्रम्प की वापसी की तैयारी थी..* * और इधर मोदी तीसरी बार लौटे हैं..* * अब डॉलर का खेल कमजोर हो चुका है..* * खाड़ी देशों ने पेट्रोडॉलर से पीछे हटना शुरू किया है..* * चीन फंस चुका है..* * रूस से युद्ध ने यूरोप की कमर तोड़ दी है..* * मोदी का * * “आपदा में अवसर” * * वाला मंत्र अब रंग ला रहा है..* * जब दुनिया मंदी की भविष्य वाणी कर रही है..* * भारत तेज़ी से बढ़ रहा है..* * आत्म निर्भर भारत लोकल मैन्युफैक्चरिंग सप्लाई चेन का शिफ्ट..* * ये सब अब भारत को फल दे रहे हैं..* * अमेरिका अब खुद कह रहा है..* * कि उसे दुनिया का चौधरी नहीं बनना..* * अपना तेल बेचना है..* * अपने लोगों को रोजगार देना है..* * और जितना काम अपने देश में हो सके..* * उतना लाना है..* *इसे ही * * “रिवर्स ग्लोब लाइजेशन”* * कहा जा रहा है..* * और अब असली टैरिफ आने वाला है..* * तेरे देश के लोग * * मेरे देश में काम करेंगे..* * तो....* * मेरे भी तेरे देश में..* * तेरे स्टूडेंट्स टूरिस्ट बिजनेस..* * सब बराबरी के आधार पर होंगे..* * यही 21 वीं सदी का भारत इकोनॉमिक मॉडल बनने जा रहा है..* * भारत इस सबके लिए तैयार है..* * क्योंकि मोदी ने पिछले एक दशक में नींव मजबूत की है..* * टेक, फाइनेंस रणनीति और आत्म विश्वास के साथ..* * अब 2026 तक सारे पेंडिंग काम होंगे..* * NRC, डिलिमिटेशन जनसंख्या नियंत्रण मदरसा सुधार एजुकेशन बिल यूनिफॉर्म सिविल कोड..* * सिर्फ विपक्ष नहीं..* * सिस्टम में बैठे गद्दारों को भी, अब झटका लगने वाला है..* * मोदी मूर्ख नहीं था...* * उसने पहले ही देख लिया था..* * कि 21वीं सदी तो भारत की सदी है..* * लेकिन इसके लिए खुद को बदलना होगा..* * खड़ा करना होगा..* * और लड़ना होगा..* * अब ये "कालचक्र" पलट चुका है..* * अगली सदी हमारी ही होगी..* * और ये तो बस शुरुआत है....!* * राष्ट्रहित ही सर्वोपरि..* * भारत माता की जय हो..* * वंदे मातरम जय हिंद..* #प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
पंकज बलवाड़ी
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1 महीने पहले
बिहार, लालू यादव के जंगलराज में कैसे बर्बाद हुआ , उसे इस वाकये से समझिए :- 1980- 90 के दशक में बिहार राज्य के छपरा के पास सारण जिले में मढ़ौरा में बिड़ला ग्रुप की Morton लेमनचूस, टॉफी की बड़ी प्रसिद्ध फैक्टरी हुआ करती थी। इस फैक्ट्री में बनने वाली मॉर्टन चॉकलेट अपनी क्वालिटी के दम पर सिर्फ बिहार में ही नही बल्कि दूसरे प्रदेशों के साथ-साथ विदेशों तक अपनी पहुंच बनाने में कामयाब हुई थी।दूध, चीनी, नारियल के महीन बुरादे वाली मुलायम क्रीम टॉफी और आहिस्ता - आहिस्ता मुंह में घुलने वाली कड़क लैक्टोबॉनबॉन टॉफी , मॉर्टन के दो सबसे लोकप्रिय उत्पाद थे। सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग सभी दुकानों में मॉर्टन चॉकलेट की वेराइटी मिल जाती थी । हमारे राजस्थान सहित पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा गुजरात समेत उत्तर भारत के कई प्रमुख राज्यो में इसकी काफी डिमांड थी । नेपाल से लेकर भूटान तक चॉकलेट का स्वाद हर जुबान पर था । इस फैक्ट्री के बगल में बिड़ला ग्रुप की ही चीनी मिल भी थी इसलिए टॉफी की फैक्ट्री के लिए बगल से ही चीनी उपलब्ध थी ।टीवी एड और सभी पत्रिकाओं में एड आते थे। खूब बिकती थी। भारत के हर दुकानदार की मजबूरी थी वह मॉर्टन रखे । उस समय टॉफी/चॉकलेट इंडस्ट्री में मॉर्टन से बड़ा दूसरा कोई ब्रांड नही था । सिर्फ चॉकलेट फैक्ट्री का सलाना कारोबार 30 करोड़ के आसपास था । बताते हैं कि जब भी कोई अपने रिश्तेदारों से मिलने जाता था या किसी अफसर से कोई पैरवी लगानी होती तो मॉर्टन चॉकलेट का डिब्बा साथ जरूर ले जाता । सबसे फेमस चॉकलेट मॉर्टन कुकीज 50 पैसे में मिलती थी । जिसका स्वाद आज भी पुराने लोगों को याद है । फिर आया 1997 । जुलाई का महीना । बिहार में लालू यादव ने अपनी राबड़ी देवी को अपनी जगह मुख्यमंत्री बना दिया । पूरा बिहार अब अराजकता का राज्य बन चुका था । किसी पर कोई लगाम नहीं थी । बड़े बिजनेस ग्रुप बिहार से भाग रहे थे । ऐसे में बिहार के एक तथाकथित बड़े नेता के एक रिश्तेदार की बुरी नजर इस मार्टन फैक्ट्री पर पड़ गई । फिर वो उस फैक्टरी से प्रत्येक महीने एक से डेढ़ लाख रुपये रंगदारी वसूलने लगा । उस समय की यह रकम आज के करोड़ों रुपए के बराबर है । आगे बढ़ने से पहले यह जान लेवें कि इस फैक्ट्री में तैयार टॉफी के अन्दर खोया/दूध का मावा भी डाला जाता था। इसके लिए फैक्टरी ने गायें भी पाल रखी थीं, जिनके दूध से खोया/मावा तैयार होता था, मतलब एकदम गाय के दूध से बना खोया। तो साहब उस नेताजी के रिश्तेदार को नियमित रूप से रंगदारी मिल भी रही थी, लेकिन बाद में रंगदारी और बढ़ा दी गई। बिड़ला ग्रुप रोज रोज की बदमाशी से बुरी तरह परेशान हो गया । बिड़ला ग्रुप ने रंगदारी देने से मना कर दिया । कहते हैं इससे नाराज उस बड़े नेता के रिश्तेदार ने रंगदारी नहीं देने पर, धमकी के तौर पर गायों को खोलकर भगा दिया । हाहाकार मच गया । बिड़ला घराने ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय में भी की लेकिन लालू यादव और राबड़ी देवी ने उनसे मिलने तक से इनकार कर दिया । इसके बाद फैक्ट्री में यूनियनबाजी शुरू हो गई । मजदूरों को भड़काया जाने लगा । मैनेजर्स से भी पैसे की डिमांड होने लगी । उन्हें पीटा जाने लगा । इन सब घटनाओं का मतलब साफ था रंगदारी तो देनी ही पड़ेगी । ऐसी अराजक स्थिति देख मालिकों ने फैक्ट्री बंद करने का निर्णय लिया । 1998 में फैक्ट्री बंद हो गई । तब से आज तक बंद ही है । स्थानीय चोर फैक्ट्री से कल पुर्जे , पाइप, टौंटी तक चुरा ले गए ।वर्तमान समय में मॉर्टन की बात की जाए, तो इस फैक्ट्री के अवशेष एक खंडहर के रूप में दिखाई देते हैं. आज यहां एक 20x20 फीट का ऑफिस ब्लॉक, कुछ टॉफी के रैपर के अलावा टूटी दीवारें देखी जा सकती हैं । इस मॉर्टन फैक्ट्री के गार्ड रहे कामाख्या सिंह ने एक पत्रकार को बताया था कि सरकार ने कभी इस कारखाने को पुनर्जीवत करने का प्रयास नहीं किया, जिससे यहां के लोगों को रोजगार मिले और हजारों लोगों को जीवन यापन करने में मदद मिल सके । उन्होंने यह भी कहा कि जो आज पूछ रहे हैं, बिहार में का बा, उनके समय में फैक्ट्री बंद हुई । बिहार को खोखला उन्हीं के राज में कर दिया गया । मजबूरन, पिछले 23 साल से यह फैक्टरी बन्द है। और बगल की शुगर फैक्ट्री भी बंद है बिहार के कोई नेता, कोई पत्रकार इस पर प्रकाश डालेंगे? कोई सामाजिक न्याय के पैरोकार यह बताएँगे के बिहार के चीनी मिल क्यों बन्द हो गए? बेरोजगारी की बात करने वाले तेजस्वी यादव से यह सवाल पूछे जाने चाहिए साभार #बिहार #प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
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