साथ मिलकर,उंगलियों से,दूर गंगा के किनारे।
रेत पर फिर से लिखें हम,वो वचन सारे हमारे।
ओस से भीगे तृणों पर,
मन के आंचल को बिछाकर,
बांध लें इक छोर में फिर,
आस के झिलमिल सितारे !
जो गगन के देवता हैं,
मानकर साक्षी उन्हें हम,
अंजुरी में जल भरें ,
चाँद को उसमें उतारें !
हाथ में ले हाथ हम तुम,
फिर कहें इक दूसरे से,
सुख तुम्हारा-सुख हमारा,
दुख तुम्हारा-दुख हमारा !
साथ मिलकर फिर सहेजें,
फिर लिखें अपनी कहानी !
जो समय के ताप से
कुम्हला गई हैं मन की कलियां,
सींचकर स्नेह से हम,
आज फिर उनको खिलाएं।
💙💚💛🩷
#❤️Love You ज़िंदगी ❤️