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एस्ट्रो मनोज कौशिक बहल यंत्र मंत्र तंत्र विशेषज्ञ
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एस्ट्रो मनोज कौशिक बहल यंत्र मंत्र तंत्र विशेषज्ञ
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11 घंटे पहले
#🔯ज्योतिष #✡️सितारों की चाल🌠 #🔯ग्रह दोष एवं उपाय🪔 #🔯वास्तु दोष उपाय #🔯दैनिक वास्तु टिप्स✅ अपार धन-समृद्धि के लिए दिवाली पर राजा-महाराजा करते थे महालक्ष्मी का यह पूजन - प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों के द्वारा राजाओं-महाराजाओं के यहां स्थाई सुख शांति हेतु दिवाली पर पूजा-पाठ अनुष्ठान किए जाते थे यही वजह है कि उनके यहां पीढ़ी दर पीढ़ी समृद्धि बनी रहती थी। इन्हीं अनुष्ठानों में से एक है महालक्ष्मी जी का अति दुर्लभ और अचूक अनुष्ठान। यह मुख्यतः दीपावली में किया जाता था। इसे सहस्त्ररूपा सर्वव्यापी लक्ष्मी कहा जाता है सहस्त्ररूपा सर्वव्यापी लक्ष्मी साधना विधि प्रत्येक वर्ष दीपावली पर सर्वत्र विद्यमान, सर्व सुख प्रदान करने वाली माता महालक्ष्मी जी की पूजन करने की विधि बताई जाती है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी हम चाहते हैं कि आप सभी मित्र अपने-अपने घरों या दुकानों में सपरिवार सहस्त्ररूपा सर्वव्यापी लक्ष्मी साधना पूजा को कर मां लक्ष्मी को अपने घर में स्थायी रूप से प्रतिष्ठित करें। यह पूजन समस्त ग्रहों की महादशा या अन्तर्दशा के लिए लाभप्रद होता है। वैसे जिनकी शुक्र की दशा चल रही हो वे लोग इस पूजन को ज़रूर करें। इस विधि से माता लक्ष्मी की पूजा करने से सहस्त्ररुपा सर्वव्यापी लक्ष्मी जी सिद्ध होती हैं। इस वर्ष इस पूजा को सिद्ध करने का समय दीपावली को अपरान्ह 2.00 से 4.00 के मध्य या रात्रि तथा 11.30 से 02.57 के मध्य है। जो भक्तजन सहस्त्र रुपा सर्वव्यापी लक्ष्मी पूजन करते हैं उनके आमदनी के नए-नए लक्षण बनने लगते हैं। आर्थिक उन्नति,पारिवारिक समृद्धि,व्यापार में बृद्धि,यश, प्रसिद्धि बढ़ने लगती है। दरिद्रता और कर्ज समाप्त होने लगता है। पति-पत्नी के बीच कलह समाप्त होने लगती है। सभी प्रकार के मनोवांछित फल प्राप्त होने लगते हैं। लक्ष्मी का तात्पर्य केवल धन ही नहीं होता बल्कि जीवन की समस्त परिस्थितियों की अनुकूलता ही लक्ष्मी कही जाती हैं। सहस्त्र रुपा सर्वव्यापी लक्ष्मी का अर्थ 1-धन लक्ष्मी, 2-स्वास्थ्य लक्ष्मी, 3-पराक्रम लक्ष्मी, 4-सुख लक्ष्मी, 5-संतान लक्ष्मी, 6-शत्रु निवारण लक्ष्मी, 7-आनंद लक्ष्मी, 8- दीर्घायु लक्ष्मी, 9-भाग्य लक्ष्मी, 10-पत्नी लक्ष्मी, 11-राज्य सम्मान लक्ष्मी, 12- वाहन लक्ष्मी, 13-सौभाग्य लक्ष्मी, 14-पौत्र लक्ष्मी 15-राधेय लक्ष्मी होता है। इस पूजन को विशेष रूप से अमावस्या को अर्ध रात्रि में किया जाना अत्यंत शुभ फलदायी होता है। प्रत्येक दीपावली के दिन अमावस्या होती है अतः इसी दिन यह पूजा करना लाभप्रद होता है। सामग्री 1.श्री यंत्र (तांबा,चांदी या सोने का) एक 2.तिल का तेल 500 ग्राम 3.मिट्टी की 11 दीपमालिका 4. रुई बत्ती लंबी वाली 22 5.केशर 6.गुलाब या चमेली या कमल के 108 फूल 7.दूध ,दही,घी,शहद और गंगा जल 8.सफेद रुमाल 9.साबुत कमल गट्टा दाना 108, किसी तांबे के कटोरे में पिघला घी डाल कर रखें। 10.कमल गट्टे की माला एक 11.आम की लकड़ी डेढ़ किलो 12.पीली धोती,पीला तौलिया या गमछा 13.तांबा या पीतल या चांदी की बड़ी थाल (जिसमें उपरोक्त समान आ सके) 14.फूल या पीतल का भगौना या अन्य पात्र नोट- इस पूजा में किसी भी प्रकार का स्टील या लोहे का बर्तन का प्रयोग वर्जित है। पूजन विधि:- सर्वप्रथम स्नान करके पीला वस्त्र धारण कर उपरोक्त समस्त सामान पूजा स्थल पर अपने पास रख लें और पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ जाएं। अब अपने सामने थाल रखें। उस थाल के ठीक बीच में श्री यंत्र को रख दें अब श्री यंत्र के चारों तरफ 11 तिल के तेल के दीपक की मालिका या सिर्फ 13 दीपक ऐसे रखें की दीपक की लौ साधक की ओर रहें। अब दीपक को थाली के बाहर कर लें। थाल के केंद्र में स्वस्तिक का निशान बनावें। श्री यंत्र पर 11 बिंदी लगाएं। ग्यारहवी बिंदी यंत्र के केंद्र में थोड़ा बड़ी लगाएं। बिंदी लगा कर थाल के केंद्र पर रख दें। अब गणपति एवं विष्णु जी का बारी-बारी ध्यान करके हाथ में जल अक्षत पुष्प लेकर ॐ श्रीं श्रीं सहस्त्र रुपा सर्व व्यापी लक्ष्मी जी का पूजन करने हेतु संकल्प लें एवं हाथ की सामग्री पृथ्वी पर गिरा दें। अब थाल में रखे 11 दीपक बाहर निकालें। अब श्री यंत्र को किसी पीतल या फूल के पात्र में क्रमशः दूध, दही, घी, शहद, शक्कर से स्नान कर कर फिर गंगा जल से स्नान कराकर यंत्र को सफेद कपड़े से अच्छी तरह पोंछ लें। स्नान कराने पर जो सामग्री फूल य पीतल के पात्र में इकट्ठा हुई वही सामग्री पूजन के पश्चात प्रसाद रूप में ग्रहण की जाएगी। प्रसाद हेतु मिश्री डालकर खीर बनाकर अर्पित कर सकते हैं। अब थाल के बीच में पुनः स्वस्तिक का निशान बना कर श्री यंत्र को स्थापित करके पहले की तरह उस पर 11 बिंदी केशर की लगाएं। तत्पश्चात धूप बत्ती या अगरबत्ती प्रज्वलित करें एवं यंत्र के चारों तरफ पहले की तरह उन दीपक को लगा कर कमल गट्टे की माला से निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए एक -एक फूल बारी-बारी से प्रत्येक मंत्र के पश्चात स्वाहा बोलते हुए श्री यंत्र पर 108 पुष्पों को रखते जाएं। मंत्र है || ॐ श्रीं-श्रीं सहस्त्र-रुपा सर्वव्यापी लक्ष्मी सिद्धये श्रीं-श्रीं ॐ नमः अब हवन पात्र में आम की लकड़ी रख कर अग्नि प्रज्ज्वलित कर कमल गट्टे की माला से पुनः उपरोक्त मंत्र एवं स्वाहा के उच्चारण के साथ एक एक कमल गट्टे के दाने को घी सहित किसी आम्र-पल्लव या तांबे के चम्मच से थोड़ा-थोड़ा घी सहित हवन कुण्ड में डालते जाएं। अंतिम मंत्र के साथ कटोरे का समस्त घी अग्नि में डाल दें। अब आपकी पूजा सम्पन्न हुई। मुख्यतःलक्ष्मी गणेश जी की आरती घी के दीपक से कर प्रसाद को मां लक्ष्मी एवं अग्नि देव को ग्रहण कराएं। तत्पश्चात अब घर के सदस्य आरती लेकर उस प्रसाद को ग्रहण करें। इस पूजा में आप सफेद मिष्ठान भी चढ़ा सकते हैं। अब आपकी पूजा पूर्णरूप से सम्पन्न हुई। पूजा के पश्चात रात्रि 4.30 बजे तक सोना नहीं चाहिए। पूजा के पश्चात भजन कीर्तन कर या सुन सकते हैं। सुबह आप श्री यंत्र को पूजा में या आलमारी के लॉकर में या दुकान में या कहीं भी पवित्र स्थान पर लाल कपड़े में लपेट कर रख सकते हैं। यह सभी सुखों को प्रदान करने वाली महालक्ष्मी जी की अत्यंत प्राचीन और दुर्लभ सिद्ध मंत्र साधना है।
एस्ट्रो मनोज कौशिक बहल यंत्र मंत्र तंत्र विशेषज्ञ
652 ने देखा
11 घंटे पहले
#📕लाल किताब उपाय🔯 #🌟देखिए खास ज्योतिष उपाय #🐍कालसर्प दोष परिहार #✡️ज्योतिष समाधान 🌟 #🔯नक्षत्रों के प्रभाव✨ अपार धन-समृद्धि के लिए दिवाली पर राजा-महाराजा करते थे महालक्ष्मी का यह पूजन - प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों के द्वारा राजाओं-महाराजाओं के यहां स्थाई सुख शांति हेतु दिवाली पर पूजा-पाठ अनुष्ठान किए जाते थे यही वजह है कि उनके यहां पीढ़ी दर पीढ़ी समृद्धि बनी रहती थी। इन्हीं अनुष्ठानों में से एक है महालक्ष्मी जी का अति दुर्लभ और अचूक अनुष्ठान। यह मुख्यतः दीपावली में किया जाता था। इसे सहस्त्ररूपा सर्वव्यापी लक्ष्मी कहा जाता है सहस्त्ररूपा सर्वव्यापी लक्ष्मी साधना विधि प्रत्येक वर्ष दीपावली पर सर्वत्र विद्यमान, सर्व सुख प्रदान करने वाली माता महालक्ष्मी जी की पूजन करने की विधि बताई जाती है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी हम चाहते हैं कि आप सभी मित्र अपने-अपने घरों या दुकानों में सपरिवार सहस्त्ररूपा सर्वव्यापी लक्ष्मी साधना पूजा को कर मां लक्ष्मी को अपने घर में स्थायी रूप से प्रतिष्ठित करें। यह पूजन समस्त ग्रहों की महादशा या अन्तर्दशा के लिए लाभप्रद होता है। वैसे जिनकी शुक्र की दशा चल रही हो वे लोग इस पूजन को ज़रूर करें। इस विधि से माता लक्ष्मी की पूजा करने से सहस्त्ररुपा सर्वव्यापी लक्ष्मी जी सिद्ध होती हैं। इस वर्ष इस पूजा को सिद्ध करने का समय दीपावली को अपरान्ह 2.00 से 4.00 के मध्य या रात्रि तथा 11.30 से 02.57 के मध्य है। जो भक्तजन सहस्त्र रुपा सर्वव्यापी लक्ष्मी पूजन करते हैं उनके आमदनी के नए-नए लक्षण बनने लगते हैं। आर्थिक उन्नति,पारिवारिक समृद्धि,व्यापार में बृद्धि,यश, प्रसिद्धि बढ़ने लगती है। दरिद्रता और कर्ज समाप्त होने लगता है। पति-पत्नी के बीच कलह समाप्त होने लगती है। सभी प्रकार के मनोवांछित फल प्राप्त होने लगते हैं। लक्ष्मी का तात्पर्य केवल धन ही नहीं होता बल्कि जीवन की समस्त परिस्थितियों की अनुकूलता ही लक्ष्मी कही जाती हैं। सहस्त्र रुपा सर्वव्यापी लक्ष्मी का अर्थ 1-धन लक्ष्मी, 2-स्वास्थ्य लक्ष्मी, 3-पराक्रम लक्ष्मी, 4-सुख लक्ष्मी, 5-संतान लक्ष्मी, 6-शत्रु निवारण लक्ष्मी, 7-आनंद लक्ष्मी, 8- दीर्घायु लक्ष्मी, 9-भाग्य लक्ष्मी, 10-पत्नी लक्ष्मी, 11-राज्य सम्मान लक्ष्मी, 12- वाहन लक्ष्मी, 13-सौभाग्य लक्ष्मी, 14-पौत्र लक्ष्मी 15-राधेय लक्ष्मी होता है। इस पूजन को विशेष रूप से अमावस्या को अर्ध रात्रि में किया जाना अत्यंत शुभ फलदायी होता है। प्रत्येक दीपावली के दिन अमावस्या होती है अतः इसी दिन यह पूजा करना लाभप्रद होता है। सामग्री 1.श्री यंत्र (तांबा,चांदी या सोने का) एक 2.तिल का तेल 500 ग्राम 3.मिट्टी की 11 दीपमालिका 4. रुई बत्ती लंबी वाली 22 5.केशर 6.गुलाब या चमेली या कमल के 108 फूल 7.दूध ,दही,घी,शहद और गंगा जल 8.सफेद रुमाल 9.साबुत कमल गट्टा दाना 108, किसी तांबे के कटोरे में पिघला घी डाल कर रखें। 10.कमल गट्टे की माला एक 11.आम की लकड़ी डेढ़ किलो 12.पीली धोती,पीला तौलिया या गमछा 13.तांबा या पीतल या चांदी की बड़ी थाल (जिसमें उपरोक्त समान आ सके) 14.फूल या पीतल का भगौना या अन्य पात्र नोट- इस पूजा में किसी भी प्रकार का स्टील या लोहे का बर्तन का प्रयोग वर्जित है। पूजन विधि:- सर्वप्रथम स्नान करके पीला वस्त्र धारण कर उपरोक्त समस्त सामान पूजा स्थल पर अपने पास रख लें और पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ जाएं। अब अपने सामने थाल रखें। उस थाल के ठीक बीच में श्री यंत्र को रख दें अब श्री यंत्र के चारों तरफ 11 तिल के तेल के दीपक की मालिका या सिर्फ 13 दीपक ऐसे रखें की दीपक की लौ साधक की ओर रहें। अब दीपक को थाली के बाहर कर लें। थाल के केंद्र में स्वस्तिक का निशान बनावें। श्री यंत्र पर 11 बिंदी लगाएं। ग्यारहवी बिंदी यंत्र के केंद्र में थोड़ा बड़ी लगाएं। बिंदी लगा कर थाल के केंद्र पर रख दें। अब गणपति एवं विष्णु जी का बारी-बारी ध्यान करके हाथ में जल अक्षत पुष्प लेकर ॐ श्रीं श्रीं सहस्त्र रुपा सर्व व्यापी लक्ष्मी जी का पूजन करने हेतु संकल्प लें एवं हाथ की सामग्री पृथ्वी पर गिरा दें। अब थाल में रखे 11 दीपक बाहर निकालें। अब श्री यंत्र को किसी पीतल या फूल के पात्र में क्रमशः दूध, दही, घी, शहद, शक्कर से स्नान कर कर फिर गंगा जल से स्नान कराकर यंत्र को सफेद कपड़े से अच्छी तरह पोंछ लें। स्नान कराने पर जो सामग्री फूल य पीतल के पात्र में इकट्ठा हुई वही सामग्री पूजन के पश्चात प्रसाद रूप में ग्रहण की जाएगी। प्रसाद हेतु मिश्री डालकर खीर बनाकर अर्पित कर सकते हैं। अब थाल के बीच में पुनः स्वस्तिक का निशान बना कर श्री यंत्र को स्थापित करके पहले की तरह उस पर 11 बिंदी केशर की लगाएं। तत्पश्चात धूप बत्ती या अगरबत्ती प्रज्वलित करें एवं यंत्र के चारों तरफ पहले की तरह उन दीपक को लगा कर कमल गट्टे की माला से निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए एक -एक फूल बारी-बारी से प्रत्येक मंत्र के पश्चात स्वाहा बोलते हुए श्री यंत्र पर 108 पुष्पों को रखते जाएं। मंत्र है || ॐ श्रीं-श्रीं सहस्त्र-रुपा सर्वव्यापी लक्ष्मी सिद्धये श्रीं-श्रीं ॐ नमः अब हवन पात्र में आम की लकड़ी रख कर अग्नि प्रज्ज्वलित कर कमल गट्टे की माला से पुनः उपरोक्त मंत्र एवं स्वाहा के उच्चारण के साथ एक एक कमल गट्टे के दाने को घी सहित किसी आम्र-पल्लव या तांबे के चम्मच से थोड़ा-थोड़ा घी सहित हवन कुण्ड में डालते जाएं। अंतिम मंत्र के साथ कटोरे का समस्त घी अग्नि में डाल दें। अब आपकी पूजा सम्पन्न हुई। मुख्यतःलक्ष्मी गणेश जी की आरती घी के दीपक से कर प्रसाद को मां लक्ष्मी एवं अग्नि देव को ग्रहण कराएं। तत्पश्चात अब घर के सदस्य आरती लेकर उस प्रसाद को ग्रहण करें। इस पूजा में आप सफेद मिष्ठान भी चढ़ा सकते हैं। अब आपकी पूजा पूर्णरूप से सम्पन्न हुई। पूजा के पश्चात रात्रि 4.30 बजे तक सोना नहीं चाहिए। पूजा के पश्चात भजन कीर्तन कर या सुन सकते हैं। सुबह आप श्री यंत्र को पूजा में या आलमारी के लॉकर में या दुकान में या कहीं भी पवित्र स्थान पर लाल कपड़े में लपेट कर रख सकते हैं। यह सभी सुखों को प्रदान करने वाली महालक्ष्मी जी की अत्यंत प्राचीन और दुर्लभ सिद्ध मंत्र साधना है।
एस्ट्रो मनोज कौशिक बहल यंत्र मंत्र तंत्र विशेषज्ञ
513 ने देखा
12 घंटे पहले
#🔯ज्योतिष #✡️सितारों की चाल🌠 #🔯वास्तु दोष उपाय #🔯ग्रह दोष एवं उपाय🪔 #🔯दैनिक वास्तु टिप्स✅ दिवाली पर घर आए किन्नर तो बिना देर किए मांग ले ये चीज, खूब होगी बरकत दिवाली पर ना सिर्फ मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का महत्व है बल्कि इस दिन दान करना भी काफी शुभ माना गया है। मान्यता है कि अगर दिवाली के दिन लक्ष्मी-गणेश पूजन के अलावा गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन खिलाया जाए या दान दिया जाए तो इसकाबड़ा फल मिलता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन अगर आपके घर पर किन्नर की मेहरबानी हो गई तो कितनी बरकत होगी ? दरअसल दिवाली के मौके पर या उससेकुछ दिन पहले किन्नर अक्सर शगुन या इनाम मांगने आते हैं। ऐसे मौके पर कुछ लोग उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं जबकि ऐसा नहीं करनाचाहिए। अगर किन्नर आपसे शगुन या इनाम मांगने आए तो उसे वो दे दें लेकिन बाद में उससे एक रुपया जरूर लें। ध्यान रहे कि ये एक रुपया किन्नर की रजामंदी से ही लिया गया हो। जो रुपया मिले उसे सिर-माथे से लगाकर अपनी तिजोरी में रखें। ऐसी मान्यता है किकिन्नर से लिए इस एक रुपए को अगर आप अपनी तिजोरी में रखते हैं तो आपकी निर्धनता को दूर होने से कोई नहीं रोक सकता है और सालों-साल खूब बरकत होगी। इसके पीछे धारणा यह है कि जब भी कोई किन्नर लोगों से कुछ चीज लेता है तो बदले में वो खूब दुआएं देता है। इसके अलावा और भी कई तरीके हैं जिन्हें अपनाने से घर में खूब बरकत होगी और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी। 1. माना जाता है कि दिवाली के दिन लक्ष्मी जी के पूजन के बाद घर के हर कमरे में शंख और घंटी बजानी चाहिए इससे ना सिर्फ घर सेनकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है बल्कि मां लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है। 2. जब लक्ष्मी जी की पूजा करें तो साथ में हल्दी की एक गांठ भी रखें और पूजा के बाद हल्दी की इस गांठ को उठाकर अपनी तिजोरीया फिर पैसों की जगह रखें। ऐसा करने से खूब बरकत होगी। 3. ऐसा भी कहा जाता है कि जो भी कमाई के साधन होते हैं उनकी भी दिवाली के दिन पूजा करनी चाहिए। 4. दिवाली के दिन अगर मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाई जाएं तो सारे संकट दूर हो जाते हैं। ऐसे ही और भी कई तरीके या उपाय हैं जिनसे देवी मां की कृपा आप पर बनी रहेगी
एस्ट्रो मनोज कौशिक बहल यंत्र मंत्र तंत्र विशेषज्ञ
1.4K ने देखा
12 घंटे पहले
#📕लाल किताब उपाय🔯 #🐍कालसर्प दोष परिहार #🌟देखिए खास ज्योतिष उपाय #✡️ज्योतिष समाधान 🌟 #🔯नक्षत्रों के प्रभाव✨ दिवाली पर घर आए किन्नर तो बिना देर किए मांग ले ये चीज, खूब होगी बरकत दिवाली पर ना सिर्फ मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का महत्व है बल्कि इस दिन दान करना भी काफी शुभ माना गया है। मान्यता है कि अगर दिवाली के दिन लक्ष्मी-गणेश पूजन के अलावा गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन खिलाया जाए या दान दिया जाए तो इसकाबड़ा फल मिलता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन अगर आपके घर पर किन्नर की मेहरबानी हो गई तो कितनी बरकत होगी ? दरअसल दिवाली के मौके पर या उससेकुछ दिन पहले किन्नर अक्सर शगुन या इनाम मांगने आते हैं। ऐसे मौके पर कुछ लोग उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं जबकि ऐसा नहीं करनाचाहिए। अगर किन्नर आपसे शगुन या इनाम मांगने आए तो उसे वो दे दें लेकिन बाद में उससे एक रुपया जरूर लें। ध्यान रहे कि ये एक रुपया किन्नर की रजामंदी से ही लिया गया हो। जो रुपया मिले उसे सिर-माथे से लगाकर अपनी तिजोरी में रखें। ऐसी मान्यता है किकिन्नर से लिए इस एक रुपए को अगर आप अपनी तिजोरी में रखते हैं तो आपकी निर्धनता को दूर होने से कोई नहीं रोक सकता है और सालों-साल खूब बरकत होगी। इसके पीछे धारणा यह है कि जब भी कोई किन्नर लोगों से कुछ चीज लेता है तो बदले में वो खूब दुआएं देता है। इसके अलावा और भी कई तरीके हैं जिन्हें अपनाने से घर में खूब बरकत होगी और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी। 1. माना जाता है कि दिवाली के दिन लक्ष्मी जी के पूजन के बाद घर के हर कमरे में शंख और घंटी बजानी चाहिए इससे ना सिर्फ घर सेनकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है बल्कि मां लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है। 2. जब लक्ष्मी जी की पूजा करें तो साथ में हल्दी की एक गांठ भी रखें और पूजा के बाद हल्दी की इस गांठ को उठाकर अपनी तिजोरीया फिर पैसों की जगह रखें। ऐसा करने से खूब बरकत होगी। 3. ऐसा भी कहा जाता है कि जो भी कमाई के साधन होते हैं उनकी भी दिवाली के दिन पूजा करनी चाहिए। 4. दिवाली के दिन अगर मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाई जाएं तो सारे संकट दूर हो जाते हैं। ऐसे ही और भी कई तरीके या उपाय हैं जिनसे देवी मां की कृपा आप पर बनी रहेगी
एस्ट्रो मनोज कौशिक बहल यंत्र मंत्र तंत्र विशेषज्ञ
789 ने देखा
1 दिन पहले
#📕लाल किताब उपाय🔯 #🐍कालसर्प दोष परिहार #🌟देखिए खास ज्योतिष उपाय #✡️ज्योतिष समाधान 🌟 #🔯नक्षत्रों के प्रभाव✨ सुलेमानी काले हकिक की माला से जुड़े ये फायदे आपको जरुर जानने चाहिए – साधना सिद्धि विशेष sulemanik kale hakik ki mala क्यों धारण करनी चाहिए, इसके benefit और side effect क्या क्या है ? sulemani hakik benefits, origonal price से जुड़ी कुछ खास बाते यहाँ शेयर की जा रही है. आज हम जानने वाले है sulemani hakik ke fayde in hindi और इसके अलग अलग रंग से जुड़ी कुछ बाते जो आपको जाननी चाहिए. india में online sulemanik kale hakik ki mala and gemstone कहा से लेना चाहिए जैसी कुछ बाते जो आपको नकली असली की पहचान करवाएगी. असली हकिक के रत्न में सफ़ेद धारी हो तो उसे सबसे best माना जाता है. सुलेमानी काला हकिक एक ऐसा रत्न है जो बहुत ही प्रभावशाली है. कई लोगो से इसके बारे में सुनने के बाद सोचा की आपके साथ इसके बारे कुछ बाते शेयर की जाए ताकि आपको भी इसका फायदा मिले. black hakik stone amazing fact, benefit in hindi की आज की इस पोस्ट में हम कुछ ऐसी बाते करेंगे जो बिलकुल हैरतंगेज है लेकिन सत्य है. sulemanik kale hakik ki mala – हकिक रत्न hakik रत्न एक एक stone है जिसे hindi में अकिक और english में अगेट के नाम से जानते है. ये नाम ग्रीस से लिया गया है जो की एक नदी के नाम पर है. इसके बारे में काफी कुछ सुनने को मिलता है और वास्तव में ये बाते सत्य है. मुख्य रूप से सर्वधिक प्रचालन में आने वाले हकिक का रंग काला है. सुलेमानी हकिक इसका नाम अरबी से पड़ा क्यों की वहा इसका उपयोग आध्यात्मिक और मैजिक में किया गया. ये रत्न एक तरह से तिलस्मी पत्थर है जिसके अलग अलग रंग के हिसाब से अपने फायदे है. सबसे बड़ी और अच्छी बात इसका कोई साइड effect नहीं है. hakik gemstone दो तरह से धारण किया जा सकता है पहला अंगूठी में और दूसरा गले में. इसे चांदी की धातु के अंगूठी या लॉकेट के साथ धारण करना सबसे अच्छा माना गया है. इसके अलावा धागे में ( सफ़ेद या काला ) में भी इसे पहन सकते है. इसके लिए शनिवार के दिन धारण करना सबसे अच्छा माना जाता है. किसी भी माला से जप या धारण करने से पहले उसे माला संस्कार की विधि से उपयोग योग्य बना ले. इसकी विधि निचे शेयर की गयी है. हकिक के अलग अलग रंग और उनका महत्त्व काला हकिक : sulemanik kale hakik ki mala और काला हकिक सबसे ज्यादा प्रयोग किये जाने वाला रत्न है. इससे धारण करने से मानसिक शांति मिलती है और student के लिए ये सबसे best है. सफ़ेद हकिक : भावनात्मक रूप से मजबूत होने के लिए आपको सफ़ेद हकिक धारण करना चाहिए. नीला हकिक : नीला हकिक शनि के प्रभाव और दोष को दूर करने के लिए प्रयोग किया जाता है. पिला हकिक : जीवन में उन्नति के लिए, भगवन ब्रहस्पति के दोष को दूर करने के लिए आपको इसे धारण करना चाहिए. इसके अलावा अगर आप नींद ना आने, डरावने सपने से परेशान है तो इसकी माला को तकिये के निचे रखकर सोना चाहिए. sulemanik kale hakik ki mala के benefit 1. हकिक की माला में sulemanik kale hakik ki mala सबसे ज्यादा प्रयोग में लाई जाती है. इस माला से अगर हनुमान जी और लक्ष्मी जी की साधना की जाए तो जल्दी सफल होती है. 2. हकिक की माला धारण करने से शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक शांति और संतुलन की प्राप्ति होती है. 3. अगर आपका औरा दुर्बल है और आप जल्दी ही नजर लगने, काले जादू के प्रभाव में आ जाते है तो आपको हकिक की माला धारण करनी चाहिए. 4. गरीबी दूर करने के लिए लक्ष्मी साधना कर sulemanik kale hakik ki mala को मंदिर में रखने से गरीबी और कष्ट दूर होते है. 5. शारीरिक और मानसिक बीमारियों को दूर करने में हकिक की माला और रत्न काफी फायदेमंद है. 6. समाज और दुसरो के बिच सम्मान पाने के लिए इसकी माला धारण करना सबसे अच्छा है. 7. हकिक का रत्न देवी लक्ष्मी का प्रतिक माना गया है और इसी वजह से इसे गरीबी दूर करने वाला माना गया है, साधनाओ में सफलता दिलाने के लिए भी इसे बढ़िया माना गया है. top 10 amazing fact of hakik stone 1. हकिक की माला को कोई भी, किसी भी उम्र में धारण कर सकता है और इसे उप रत्न विकल्प माना गया है. 2. ये एक ऐसा stone है जिसे धारण करने का कोई खास विधान नहीं है अगर आप महंगे रत्न धारण नहीं कर सकते है तो इसे पहन सकते है, इसे संस्कारित और जाग्रत करने पर इसका प्रभाव और भी बढ़ जाता है. 3. हकिक का रत्न 4 मुख्य रंग में उपलब्ध है जिनके अपने लाभ है, सबसे बड़ी खास बात तो ये है की न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर भी लाभदायक है. 4. इस रत्न को धारण करने मात्र से आप बुरी नजर, काले जादू के प्रभाव से मुक्त हो सकते है इसी लिए इसे सुलेमानी और तिलस्मी stone कहा गया है. 5. सकारात्मक उर्जा के संचार और भय से मुक्त होने में इस रत्न का सबसे अच्छा प्रभाव देखा जा सकता है. इसका प्रयोग आपको भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है. 6. हकिक रत्न से कई बीमारिया भी दूर की जा सकती है जैसे कुछ कैंसर के टाइप्स ( खासकर औरतो के कैंसर ) की सम्भावना कम की जा सकती है. 7. अगर आप आधुनिक fashion को ज्यादा मानते है तो भी इसे लॉकेट में धारण कर सकते है क्यों की ये रत्न काफी attractive look का लगता है. 8. कुछ लोगो के अनुसार इस stone का आकर्षण लोगो को आपकी और आकर्षित करने और आपके औरा क्षेत्र को balance कर उसका effect बढाने के काम भी करता है. 9. शनि, राहू और अन्य कुंडली दोष भी हकिक stone को धारण करने से ठीक हो जाते है, ज्योतिष में भी इस रत्न का बहुत महत्त्व है. 10. student अगर पढाई को लेकर परेशान है , मन चंचल है तो उनके लिए हकिक की माला या stone धारण करना सबसे best है.
एस्ट्रो मनोज कौशिक बहल यंत्र मंत्र तंत्र विशेषज्ञ
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1 दिन पहले
#🔯ज्योतिष #✡️सितारों की चाल🌠 #🔯दैनिक वास्तु टिप्स✅ #🔯ग्रह दोष एवं उपाय🪔 #🔯वास्तु दोष उपाय *संघर्षकारी मंगल और राहु का योग* *ज्योतिष में मंगल को क्रोध, वाद विवाद, लड़ाई झगड़ा, हथियार, दुर्घटना, एक्सीडेंट, अग्नि, विद्युत आदि का कारक ग्रह माना गया है तथा राहु को आकस्मिकता, आकस्मिक घटनाएं, शत्रु, षड़यंत्र, नकारात्मक ऊर्जा, तामसिकता, बुरे विचार, छल, और बुरी आदतों का कारक ग्रह माना गया है, इसलिए फलित ज्योतिष में मंगल और राहु के योग को बाहुत नकारात्मक और उठापटक कराने वाला योग माना गया है मंगल और राहु स्वतंत्र रूप से अलग अलग इतने नाकारात्मक नहीं होते पर जब मंगल और राहु का योग होता है तो इससे मंगल और राहु की नकारात्मक प्रचंडता बहुत बढ़ जाती है जिस कारण यह योग विध्वंसकारी प्रभाव दिखाता है, मंगल राहु का योग प्राकृतिक और सामाजिक उठापटक की स्थिति तो बनाता ही है पर व्यक्तिगत रूप से भी मंगल राहु का योग नकारात्मक परिणाम देने वाला ही होता है।* *यदि जन्मकुंडली में मंगल और राहु एक साथ हो अर्थात कुंडली में मंगल राहु का योग हो तो सर्वप्रथम तो कुंडली के जिस भाव में यह योग बन रहा हो उस भाव को पीड़ित करता है और उस भाव से नियंत्रित होने वाले घटकों में संघर्ष की स्थिति बनी रहती है उदाहरण के लिए यदि कुंडली के लग्न भाव में मंगल राहु का योग हो तो ऐसे में स्वास्थ पक्ष की और से हमेशा कोई न कोई समस्या लगी रहेगी, धन भाव में मंगल राहु का योग होने पर आर्थिक संघर्ष और क़ुतुब के सुख में कमी होगी इसी प्रकार पंचम भाव में मंगल राहु का योग शिक्षा और संतान पक्ष को बाधित करेगा।* *इसके अलावा कुंडली में मंगल राहु का योग होने से व्यक्ति का क्रोध विध्वंसकारी होता है, समान्य रूप से तो प्रत्येक व्यक्ति को क्रोध आता है पर कुंडली में राहु मंगल का योग होने पर व्यक्ति का क्रोध बहुत प्रचंड स्थिति में होता है और व्यक्ति अपने क्रोध पर नियंत्रण नहीं कर पाता और बहुत बार क्रोध में बड़े गलत कदम उठा बैठता है, कुंडली में मंगल राहु का योग होने पर जीवन में दुर्घटनाओं की अधिकता होती है और कई बार दुर्घटना या एक्सीडेंट का सामना करना पड़ता है कुंडली में मंगल राहु का योग होने पर व्यक्ति को वहां चलाने में भी सावधानी बरतनी चाहिए , कुंडली में मंगल राहु का योग होने पर व्यक्ति को शत्रु और विरोधियों की और से भी बहुत समस्याएं रहती है और जीवन में वाद विवाद तथा झगड़ों की अधिकता होती है, कुंडली में मंगल राहु का योग बड़े भाई के सुख में कमी या वैचारिक मतभेद उत्पन्न करता है और मंगल राहु के योग के नकारात्मक परिणाम के कारण ही व्यक्ति को जीवन में कर्ज की समस्या का भी सामना करना पड़ता है, इसके अलावा यदि स्त्री जातक की कुंडली में मंगल राहु का योग हो तो वैवाहिक जीवन को बिगड़ता है स्त्री की कुंडली में मंगल पति और मांगल्य का प्रतिनिधि ग्रह होता है और राहु से पीड़ित होने के कारण ऐसे में पति सुख में कमी या वैवाहिक जीवन में संघर्ष की स्थिति बनी रहती है, जिन लोगो की कुंडली में मंगल राहु का योग होता है उन्हें अक्सर जमीन जायदात से जुडी समस्याएं भी परेशान करती हैं इसके अलावा मंगल राहु का योग हाई बी.पी. मांसपेशियों की समस्या, एसिडिटी, अग्नि और विद्युत दुर्घटना जैसी समस्याएं भी उत्पन्न करता है l* *तो यहाँ हमने देखा की मंगल और राहु का योग किस प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करता है यदि कुंडली में मंगल राहु के योग के कारण समस्याएं उत्पन्न हो रही हो तो निम्नलिखित उपाय लाभकारी होंगे। सामान्य उपाय-* *1. ॐ अंग अंगारकाय नमः का नियमित जाप करें।* *2. हनुमान चालीसा का पाठ करें।* *3. प्रत्येक शनिवार को साबुत उडद का दान करें।* *4. प्रत्येक मंगलवार को गाय को गुड़ खिलाएं।* *5. प्रतिदिन मस्तक पर सफ़ेद चन्दन का तिलक लगाएं।
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