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ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
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ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
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1 साल पहले
#सुबह सुप्रभातम् गुड़ मोर्निग-ब्रह्मदत्त ॐ त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् भगवान शिव माता पार्वती-दुर्गा को समर्पित होता है प्रदोष व्रत....ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ प्रदोष व्रत महीने में दो बार मनाया जाता है और यह भगवान शिव को समर्पित होता है। प्रदोष का अर्थ है अंधकार को समाप्त करना। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस शुभ दिन पर साधक उपवास करते हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त तो कल ही से शुरू हो चुका है यानिकि » प्रदोष व्रत 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार से शुरू होकर आज 22 फरवरी तक है » माघ माह शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि प्रारंभ - 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार को सुबह 11 बजकर 27 मिनट से शुरू । » माघ माह शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि समापन 22 फरवरी 2024 दिन गुरुवार दोपहर 1 बजकर 21 मिनट पर समाप्ति। » प्रदोष व्रत की पूजा का समय - 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार को शाम 6 बजकर 15 मिनट से लेकर 8 बजकर 47 मिनट तक। यह समय प्रदोष काल कहलाता है जिसमें शिव और पार्वती जी की आराधना करना सर्वश्रेष्ठ होता है। प्रस्तुतकर्ता ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
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1 साल पहले
#देवी दर्शन शुक्रवार ब्रह्मदत्त ॐ त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् भगवान शिव माता पार्वती-दुर्गा को समर्पित होता है प्रदोष व्रत....ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ प्रदोष व्रत महीने में दो बार मनाया जाता है और यह भगवान शिव को समर्पित होता है। प्रदोष का अर्थ है अंधकार को समाप्त करना। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस शुभ दिन पर साधक उपवास करते हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त तो कल ही से शुरू हो चुका है यानिकि » प्रदोष व्रत 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार से शुरू होकर आज 22 फरवरी तक है » माघ माह शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि प्रारंभ - 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार को सुबह 11 बजकर 27 मिनट से शुरू । » माघ माह शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि समापन 22 फरवरी 2024 दिन गुरुवार दोपहर 1 बजकर 21 मिनट पर समाप्ति। » प्रदोष व्रत की पूजा का समय - 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार को शाम 6 बजकर 15 मिनट से लेकर 8 बजकर 47 मिनट तक। यह समय प्रदोष काल कहलाता है जिसमें शिव और पार्वती जी की आराधना करना सर्वश्रेष्ठ होता है। प्रस्तुतकर्ता ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
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1 साल पहले
#शरद पूर्णिमा हार्दिक शुभकामनाएं ब्रह्मदत्त ॐ त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् भगवान शिव माता पार्वती-दुर्गा को समर्पित होता है प्रदोष व्रत....ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ प्रदोष व्रत महीने में दो बार मनाया जाता है और यह भगवान शिव को समर्पित होता है। प्रदोष का अर्थ है अंधकार को समाप्त करना। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस शुभ दिन पर साधक उपवास करते हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त तो कल ही से शुरू हो चुका है यानिकि » प्रदोष व्रत 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार से शुरू होकर आज 22 फरवरी तक है » माघ माह शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि प्रारंभ - 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार को सुबह 11 बजकर 27 मिनट से शुरू । » माघ माह शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि समापन 22 फरवरी 2024 दिन गुरुवार दोपहर 1 बजकर 21 मिनट पर समाप्ति। » प्रदोष व्रत की पूजा का समय - 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार को शाम 6 बजकर 15 मिनट से लेकर 8 बजकर 47 मिनट तक। यह समय प्रदोष काल कहलाता है जिसमें शिव और पार्वती जी की आराधना करना सर्वश्रेष्ठ होता है। प्रस्तुतकर्ता ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
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1 साल पहले
#राम जन्म इतिहास ब्रह्मदत्त# ॐ त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् भगवान शिव माता पार्वती-दुर्गा को समर्पित होता है प्रदोष व्रत....ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ प्रदोष व्रत महीने में दो बार मनाया जाता है और यह भगवान शिव को समर्पित होता है। प्रदोष का अर्थ है अंधकार को समाप्त करना। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस शुभ दिन पर साधक उपवास करते हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त तो कल ही से शुरू हो चुका है यानिकि » प्रदोष व्रत 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार से शुरू होकर आज 22 फरवरी तक है » माघ माह शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि प्रारंभ - 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार को सुबह 11 बजकर 27 मिनट से शुरू । » माघ माह शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि समापन 22 फरवरी 2024 दिन गुरुवार दोपहर 1 बजकर 21 मिनट पर समाप्ति। » प्रदोष व्रत की पूजा का समय - 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार को शाम 6 बजकर 15 मिनट से लेकर 8 बजकर 47 मिनट तक। यह समय प्रदोष काल कहलाता है जिसमें शिव और पार्वती जी की आराधना करना सर्वश्रेष्ठ होता है। प्रस्तुतकर्ता ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
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1 साल पहले
#देवी दर्शन शुक्रवार ब्रह्मदत्त ॐ त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् भगवान शिव माता पार्वती-दुर्गा को समर्पित होता है प्रदोष व्रत....ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ प्रदोष व्रत महीने में दो बार मनाया जाता है और यह भगवान शिव को समर्पित होता है। प्रदोष का अर्थ है अंधकार को समाप्त करना। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस शुभ दिन पर साधक उपवास करते हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त तो कल ही से शुरू हो चुका है यानिकि » प्रदोष व्रत 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार से शुरू होकर आज 22 फरवरी तक है » माघ माह शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि प्रारंभ - 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार को सुबह 11 बजकर 27 मिनट से शुरू । » माघ माह शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि समापन 22 फरवरी 2024 दिन गुरुवार दोपहर 1 बजकर 21 मिनट पर समाप्ति। » प्रदोष व्रत की पूजा का समय - 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार को शाम 6 बजकर 15 मिनट से लेकर 8 बजकर 47 मिनट तक। यह समय प्रदोष काल कहलाता है जिसमें शिव और पार्वती जी की आराधना करना सर्वश्रेष्ठ होता है। प्रस्तुतकर्ता ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
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1 साल पहले
#जय जय शिर्डी साईं बाबा ब्रह्मदत्त त्यागी ॐ त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् भगवान शिव माता पार्वती-दुर्गा को समर्पित होता है प्रदोष व्रत....ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ प्रदोष व्रत महीने में दो बार मनाया जाता है और यह भगवान शिव को समर्पित होता है। प्रदोष का अर्थ है अंधकार को समाप्त करना। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस शुभ दिन पर साधक उपवास करते हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त तो कल ही से शुरू हो चुका है यानिकि » प्रदोष व्रत 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार से शुरू होकर आज 22 फरवरी तक है » माघ माह शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि प्रारंभ - 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार को सुबह 11 बजकर 27 मिनट से शुरू । » माघ माह शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि समापन 22 फरवरी 2024 दिन गुरुवार दोपहर 1 बजकर 21 मिनट पर समाप्ति। » प्रदोष व्रत की पूजा का समय - 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार को शाम 6 बजकर 15 मिनट से लेकर 8 बजकर 47 मिनट तक। यह समय प्रदोष काल कहलाता है जिसमें शिव और पार्वती जी की आराधना करना सर्वश्रेष्ठ होता है। प्रस्तुतकर्ता ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
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1 साल पहले
#शुभ संध्या वंदन शुभ रात्रि ब्रह्मदत्त त्यागी ॐ त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् भगवान शिव माता पार्वती-दुर्गा को समर्पित होता है प्रदोष व्रत....ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ प्रदोष व्रत महीने में दो बार मनाया जाता है और यह भगवान शिव को समर्पित होता है। प्रदोष का अर्थ है अंधकार को समाप्त करना। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस शुभ दिन पर साधक उपवास करते हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त तो कल ही से शुरू हो चुका है यानिकि » प्रदोष व्रत 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार से शुरू होकर आज 22 फरवरी तक है » माघ माह शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि प्रारंभ - 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार को सुबह 11 बजकर 27 मिनट से शुरू । » माघ माह शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि समापन 22 फरवरी 2024 दिन गुरुवार दोपहर 1 बजकर 21 मिनट पर समाप्ति। » प्रदोष व्रत की पूजा का समय - 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार को शाम 6 बजकर 15 मिनट से लेकर 8 बजकर 47 मिनट तक। यह समय प्रदोष काल कहलाता है जिसमें शिव और पार्वती जी की आराधना करना सर्वश्रेष्ठ होता है। प्रस्तुतकर्ता ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
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1 साल पहले
#कार्तिक स्नान गुरु नानक जयंती ब्रह्मदत्त ॐ त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् भगवान शिव माता पार्वती-दुर्गा को समर्पित होता है प्रदोष व्रत....ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ प्रदोष व्रत महीने में दो बार मनाया जाता है और यह भगवान शिव को समर्पित होता है। प्रदोष का अर्थ है अंधकार को समाप्त करना। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस शुभ दिन पर साधक उपवास करते हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त तो कल ही से शुरू हो चुका है यानिकि » प्रदोष व्रत 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार से शुरू होकर आज 22 फरवरी तक है » माघ माह शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि प्रारंभ - 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार को सुबह 11 बजकर 27 मिनट से शुरू । » माघ माह शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि समापन 22 फरवरी 2024 दिन गुरुवार दोपहर 1 बजकर 21 मिनट पर समाप्ति। » प्रदोष व्रत की पूजा का समय - 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार को शाम 6 बजकर 15 मिनट से लेकर 8 बजकर 47 मिनट तक। यह समय प्रदोष काल कहलाता है जिसमें शिव और पार्वती जी की आराधना करना सर्वश्रेष्ठ होता है। प्रस्तुतकर्ता ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
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