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Ajeet Kushwaha
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Ajeet Kushwaha
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2 महीने पहले
पीला या भूरा हो रहें एलोवेरा के पौधे को धूप वाली जगह से हटाकर छायादार जगह पर रख दें और हफ्ते में सिर्फ 1-2 बार ही पानी डालें, कुछ ही दिनों में एलोवेरा का पौधा फिर से हरा-भरा और चमकदार दिखने लगेगा। #aloevera #plantcaretips #gardeningtips #💚नेचर लवर🌿 #🌼 मेरा बगीचा 🌸 #🎄हरे पेड़ #🌼फूलों के पौधे🌱 #🏞️ प्रकृति की सुंदरता
Ajeet Kushwaha
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2 महीने पहले
गेंदा (Marigold) केवल एक खूबसूरत फूल ही नहीं है, बल्कि यह मिट्टी के स्वास्थ्य, कीट प्रबंधन और जैविक खेती में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला बहुमुखी पौधा है। इसकी जड़ों और फूलों से निकलने वाले जैविक यौगिक मिट्टी को स्वस्थ, उर्वर और कीट-मुक्त बनाते हैं, जिससे अन्य फसलों की वृद्धि और सुरक्षा भी होती है। इस लेख में गेंदा उगाने के वैज्ञानिक, पारिस्थितिक और कृषि उपयोगों को सरल और व्यवस्थित रूप में समझाया गया है। 🪱 नेमाटोड एवं हानिकारक सूक्ष्म कीटों पर नियंत्रण: गेंदा की जड़ों से निकलने वाला थायोफीन यौगिक मिट्टी में हानिकारक नेमाटोड्स को कम करता है। विशेषकर Tagetes erecta (अफ्रीकन गेंदा) और Tagetes patula (फ्रेंच गेंदा) किस्में इस काम में प्रभावी हैं। ICAR और IARI के अनुसंधान अनुसार, गेंदा फसल उगाने से नेमाटोड की संख्या 60–70% तक घट सकती है। 🌱 मिट्टी की संरचना और वायुसंचार में सुधार: गेंदा की जड़ें मिट्टी को ढीला, भुरभुरा और हवादार बनाती हैं, जिससे जल निकासी बेहतर होती है। इसके सूखे फूल-पत्ते जैविक खाद या कंपोस्ट में कार्बन स्रोत के रूप में उपयोगी हैं। बायोफ्यूमिगेशन के लिए भी गेंदा उपयुक्त है, जो मिट्टी को रोगाणुओं से मुक्त करता है। 🦠 मिट्टी के जैविक जीवन को सक्रिय बनाना: गेंदा के अवशेष मिट्टी में लाभकारी जीवाणु, फफूंद और केंचुओं की संख्या बढ़ाते हैं। कटाई के बाद पौधों को हरी खाद के रूप में मिलाना मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने का प्रभावी तरीका है। 🌾 फसल चक्र और सहवर्ती खेती में भूमिका: गेंदा को टमाटर, बैंगन, मिर्च, गाजर जैसी सब्जियों के साथ उगाने से कीट प्रकोप कम होता है और जैव विविधता बढ़ती है। यह मिट्टी को विश्राम देकर उसकी सेहत बनाए रखने में मदद करता है। 🌸 प्रजातियों का महत्व: Tagetes erecta बड़े फूलों वाला सजावटी एवं हरी खाद के लिए उपयुक्त है, जबकि Tagetes patula कम ऊंचाई वाला और नेमाटोड नियंत्रण में श्रेष्ठ माना जाता है। 🐛 प्राकृतिक कीट-विकर्षक के रूप में: गेंदा के फूलों की तीव्र गंध एफिड्स, थ्रिप्स, व्हाइटफ्लाई और लीफ हॉपर जैसे कीटों को दूर रखती है। यह पूर्ण कीटनाशक नहीं, पर प्राकृतिक कीट प्रबंधन में सहायक है और कुछ कीटों के अंडों के अंकुरण को रोकती है। 🐝 मधुमक्खियों और परागण कीटों को आकर्षित करना: गेंदा के फूल परागण मित्रों को आकर्षित करते हैं, जिससे आस-पास की फसलों की फलन क्षमता और उत्पादन बढ़ता है। 😎 💧 जलधारण क्षमता और ह्यूमिक एसिड में योगदान: गेंदा के अवशेष जब कंपोस्ट होते हैं, तो ह्यूमिक एसिड्स बनाते हैं जो मिट्टी की जलधारण क्षमता, संरचना और माइक्रोबियल गतिविधि को बेहतर करते हैं। 📌 निष्कर्ष: गेंदा एक बहुमुखी और बहुपयोगी पौधा है जिसे किसान और बागवानी प्रेमी अपनी खेती में शामिल करें। यह मिट्टी की संरचना, जैविक जीवन, जलधारण क्षमता सुधारता है और प्राकृतिक कीट प्रबंधन में मदद करता है। इसकी सुलभता और कम लागत इसे हर खेती के लिए मूल्यवान बनाती है। आपको यह जानकारी कैसी लगी? कृपया अपने विचार और अनुभव कमेंट में साझा करें। यदि यह जानकारी दूसरों के लिए भी उपयोगी लगे तो इसे साझा जरूर करें। पढ़ने के लिए धन्यवाद!🙏 #गेंदा_के_लाभ #🌼 मेरा बगीचा 🌸 #🌼फूलों के पौधे🌱 #🎄हरे पेड़ #💚नेचर लवर🌿 #🏞️ प्रकृति की सुंदरता
Ajeet Kushwaha
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3 महीने पहले
ऐसे अनेक पेड़ हैं, जो हमारे कारण आज दुर्लभ हो गए है। क्या आप इस #फल को पहचानते है...? #लभेर_का_फल। #लसोढ़ा उर्फ #गुंदे - मुंह मे जाने के बाद बेहद ही स्वादिष्ट मीठा पर इतना चिपचीपा होता कि पुरा फेवीकोल ही मान लें मतलब मुंह मे जबडे चिपकने को हो जाते है इसे खाने के बाद पानी पी लें तो डिहाईड्रेसन और लू नही लगती,हम लोग इस फल से बचपन में हम लोग कापी - किताबें चिपकाया करते थे। इसे हमारे इधर इस फल को लसोढ़ा भी कहा जाता है, यह इस माह (जून)के अंत तक खूब पक चुका होगा,क्योंकि कुछ फल इस प्रकार के होते है की उसके पकने के एक सप्ताह के अंदर मानसूनी वर्षा हो जाए तभी उसकी गुठली में अंकुरण होता है,जिनमें नीम,जामुन,महुआ,प्रमुख है पर लगता है कि लभेर भी संभवतः इसी प्रकार का होगा क्योंकि इनके फल जून अंत तक पकते है,लभेर का फल पकने पर पीला आकर्षक होता है जिसे दूर से देख चिड़िया खींची चली आती है,वह इसे गुठली गुदा समेत पूरा फल निगल जाती है तथा फिर कहीं दूर जाकर बीट कर इसके बीज को फ़ैलाने का काम करती है,वैसे फलों से आकर्षित दो चार फल मनुष्य भी खा लेते है पर गूदा लिरबिरा ,स्वाद रहित होने के कारण यह मनुष्य के भोजन में शामिल नहीं है हां अचार जरूर बनाया जा सकता है किन्तु इन दिनों फलों के राजा आम की बाहुलता के कारण इसे भला कौन पूछे ? यू भी गांव के आस पास मेड़ों बगीचों में विरल ही कहीं जमने के कारण यह पौधा रेयर ही पाया जाता है। लसोड़े के पेड़ बहुत बड़े होते हैं इसके पत्ते चिकने होते हैं। दक्षिण, गुजरात और राजपूताना में लोग पान की जगह लसोड़े का उपयोग कर लेते हैं। लसोड़ा में पान की तरह ही स्वाद होता है। इसके पेड़ की तीन से चार जातियां होती है पर मुख्य दो हैं जिन्हें लमेड़ा और लसोड़ा कहते हैं। छोटे और बड़े लसोडे़ के नाम से भी यह काफी प्रसिद्ध है। लसोड़ा की लकड़ी बड़ी चिकनी और मजबूत होती है। इमारती काम के लिए इसके तख्ते बनाये जाते हैं और बन्दूक के कुन्दे में भी इसका प्रयोग होता है। इसके साथ ही अन्य कई उपयोगी वस्तुएं बनायी जाती हैं। कोई भी पुरुष अपनी खूबसूरती को चेहरे से नहीं अपनी आकर्षक शरीर से दर्शाता है. लेकिन आज कल के खानपान के कारण ही कई लोग बहुत ही ज्यादा दुबले और कमजोर होते है। कई लोग शरीर को ताकतवर और मजबूत बनाने के लिए रोजाना मीट का सेवन करते है. लेकिन उसमे मौजूद ज्यादा मात्रा में तेल मसाले सेहत के लिए हानिकारक होते हैं। आज हम आपको एक ऐसे फल के बारे में बताने रहें हैं जो बहुत ही शक्तिवर्धक माना जाता है, यह मांस से भी 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता हैं। इसका सेवन करते है शरीर में ताकत आ जाती है,इस फल का नाम लसोड़ा है, इसे आम भाषा में भारतीय चेरी भी कहा जाता है, इसका सेवन शरीर के लिए बहुत ही उत्तम और ताकत से भरपूर होता है,आयुर्वेद में लसोड़ा ताकतवर फल माना गया है,आप महीने भर में ही इसको लगातार खाकर शरीर में पहलवानों जैसी ताकत का अनुभव करेंगे। लसोड़ा में भरपूर मात्रा में कैल्शियम और फास्फोरस होता हैं जो हड्डियों को मजबूत बनता है और शरीर को ताकत प्रदान करता हैं. इस फल को खाने से शरीर में ताकत आती है और शरीर को कई अन्य बीमारियों से राहत मिलती है. इस फल को खाने से आपके शरीर में नई ऊर्जा पैदा होती है जो आपके मस्तिष्क को भी तेज करती है. लसोड़ा का सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती हैं। दाद के उपचार में लसोड़ा के फायदे : लसोड़ा के बीजों की मज्जा को पीसकर दाद पर लगाने से दाद मिट जाता है. फोड़े-फुंसियां के उपचार में लसोड़ा के फायदे : लसोड़े के पत्तों की पोटली बनाकर फुंसियों पर बांधने से फुंसिया जल्दी ही ठीक हो जाती हैं। गले के रोग उपचार में लसोड़ा के फायदे : लिसोड़े की छाल के काढ़े से कुल्ला करने से गले के सारे रोग ठीक हो जाते हैं. हैजा के उपचार में लसोड़ा के फायदे : लसोडे़ की छाल को चने की छाल में पीसकर हैजा के रोगी को पिलाने से हैजा रोग में लाभ होता है। दांतों का दर्द दूर करने में लसोड़ा के फायदे : लसोड़े की छाल का काढ़ा बनाकर उस काढ़े से कुल्ला करने से दांतों का दर्द दूर होता है। लसोड़े का अचार यह दाद, खाज, खुजली जैसी स्किन समस्याओं से काफी हद तक राहत दिला सकता है. लसोड़े के अचार के सेवन से ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल किया जा सकता है. इसमें एंटी-कैंसर और एंटी-एलर्जिक प्रॉपर्टी भी पाई जाती हैं। अचार, इन लोगों को नहीं खाना चाहिए-- जिन लोगों को पाचन से जुड़ी समस्याएं हैं, जैसे गैस, अपच, पेट दर्द, और सीने में जलन दिल की समस्या है,हाई ब्लड प्रेशर ,अर्थराइटिस या जोड़ों से जुड़ी समस्याएं हैं ,ऑस्टियोपोरोसिस है। लसोड़े के अचार में सोडियम की मात्रा ज़्यादा होती है, जिससे कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. अचार में मौजूद सोडियम, शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को रोकता है. इससे हड्डियां कमज़ोर होती हैं और दर्द होने लगता है। #💚नेचर लवर🌿 #🏞️ प्रकृति की सुंदरता #🌼 मेरा बगीचा 🌸 #🌼फूलों के पौधे🌱 #🎄हरे पेड़
Ajeet Kushwaha
1.6K ने देखा
3 महीने पहले
मनीप्लांट को लोग खूब पसंद करते हैं और ये एक ऐसा इनडोर प्लांट हैं जो कि हर घर में लगा रहता हैं। ऐसे में हर कोई चाहता हैं कि उनके मनीप्लांट में बड़े-बड़े और सुंदर पत्ते आएं। ■ मनीप्लांट में चौड़े पत्ते लाने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान देना चाहिए :- 1) मनीप्लांट को बड़े गमले में लगाए, बड़े गमले में लगाने से मनीप्लांट की ग्रोथ अच्छी रहती हैं और इसके पत्ते बड़े होते हैं। 2) बड़े पत्तों के लिए मनीप्लांट को अच्छी तरह से पोषित करना भी जरूरी हैं। इसके लिए मनीप्लांट में वर्मीकम्पोस्ट या गोबर की खाद के साथ चायपत्ती की खाद का भी इस्तेमाल करें। चायपत्ती में प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन होता हैं। इससे पौधे की ग्रोथ अच्छी होती हैं और पत्तियां बड़े-बड़े साइज में आती हैं। 3) मनीप्लांट में बड़े साइज की पत्तियां लाने के लिए मॉस स्टिक (Moss stick) का इस्तेमाल करें। मनीप्लांट के एरियल रूट्स (हवाई जड़े) माॅस स्टिक से अतिरिक्त पोषण और नमी को अवशोषित करते हैं, जिससे पौधे का विकास बेहतर होता हैं और पत्तियां चौड़ी होती हैं, साथ ही मॉस स्टिक पौधे को सहारा प्रदान करता हैं और उसे ऊपर की ओर बढ़ने में मदद करता हैं। 4) मनीप्लांट के पौधे को हरा-भरा बनाएं रखने के लिए पौधे को ‘इप्सॉम सॉल्ट’ दें। इप्सॉम सॉल्ट, जिसे "मैग्नीशियम सल्फेट" भी कहा जाता हैं, पौधों की ग्रोथ के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। यह न केवल पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता हैं, बल्कि उनकी जड़ों को भी मजबूत करता हैं, जिससे पौधे तेजी से बढ़ते हैं। एक चम्मच 'इप्सॉम सॉल्ट' को 1 लीटर पानी में घोलकर हर 20-25 दिन पर मनीप्लांट की पत्तियों पर स्प्रे करें। 5) मनीप्लांट को समय-समय पर काटना-छांटना भी जरूरी हैं। इससे पौधा घना और हरा-भरा बनता हैं, कटाई-छंटाई से पौधे में नई शाखाएं निकलेंगी और उसकी ग्रोथ में तेजी आएगी। अगर जानकारी अच्छी लगी हो तो पोस्ट को Like करके इस पेज को Follow जरूर करें, धन्यवाद #moneyplant #pothos #indoorplants #plants #plantcare #gardeningtips #💚नेचर लवर🌿 #🏞️ प्रकृति की सुंदरता #🌼 मेरा बगीचा 🌸 #🌼फूलों के पौधे🌱 #🎄हरे पेड़
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