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kaushik Samarjeet Singh "Raaz"
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kaushik Samarjeet Singh "Raaz"
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7 दिन पहले
## राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ # (RSS) ##rss ##rss आज जब देश के प्रधानमंत्री RSS की तारीफों के पुल बांध रहे हैं तो उन्हें कुछ बातों का जवाब देना चाहिए 👇 1. RSS ने स्वतंत्रता आंदोलन के साथ गद्दारी क्यों की? 2. RSS ने शहीदों का साथ देने की जगह अंग्रेजों का साथ क्यों दिया? 3. RSS ने भारतीय संविधान और तिरंगे का विरोध क्यों किया? 4. क्या आज RSS अपने ऐतिहासिक संविधान विरोध की निंदा करता है? 5. जब पूरे देश का नेतृत्व जेल में था तब RSS ने जिन्ना के साथ सरकार क्यों बनाई? 6. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और सावरकर ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की फौज के खिलाफ अंग्रेजों की सेना में भर्ती के कैंप क्यों लगाए? 7. मुखर्जी ने स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलने के लिए अंग्रेज सरकार को पत्र क्यों लिखा? 8. RSS की गांधी की हत्या में क्या भूमिका थी? 9. सरदार पटेल के पत्रों में लगाए गए आरोप को वे सही मानते हैं या गलत मानते हैं? 10. आजादी के 78 साल बाद सरकार में बैठकर देश के शहीदों को अपमानित क्यों कर रहे हैं? . ##कौशिक-राज़... ✍️
kaushik Samarjeet Singh "Raaz"
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9 दिन पहले
###सोनम वांगचुक #🆕 ताजा अपडेट #📢 ताज़ा खबर 🗞️ लद्दाख कांड के पीछे भी अदानी ही निकला, जानिये परत दर परत! लोग घर बैठे सोशल मीडिया पर देशभक्त और देशद्रोही लिख रहे हैं ; जो खुद आज तक लद्दाख नहीं गए और गए भी हैं तो लेह में रहकर और पैंगोंग लेक बस कार और बाइक से लद्दाख घूमने की ख्वाहिश पूरी करने और all is well करने ,तो मान लीजिए आपने रत्ती भर भी लद्दाख नहीं देखा और आपको कोई हक भी नहीं है कि किसी को देशद्रोही बोल बैठें झट से ...। एक बार खुद जाकर देखिए मान गांव , चाइना बॉर्डर के पास और मॉडल विलेज phobrang और changthang गांव जाकर देखिए और गांव के लोगों से खुद बात करिए जहां का सॉफ्ट गोल्ड कहे जाने वाला पश्मीना पूरी दुनिया में फेमस है । आपको चरवाहे लोग खुद बताएंगे अपनी पशमीना भेड़ों को दिखाकर कि पहले दूर उस पहाड़ी तक हमारी बकरियां और भेड़ें खाने की तलाश में जाती थी ,फिर उनको लेने शाम को हम खुद जाते थे और अब एक समय ऐसा आ गया है कि वो पहाड़ी ही अब अपनी नहीं रही , ये सब देखकर दुख होता है कि अपनी जमीन पर हक अब धीरे- धीरे किसी और का ही हो रहा है और हमारे हाथ में कुछ नहीं रह जाएगा अब ... हमारा क्या होगा ?!! ये सब क्या खाएंगी ?!! सोनम वांगचुक भी यही कहते हैं कि चारागाह की जो जमीनें कार्पोरेट घरानों को सौंपी गई हैं और सौंपी जा रही हैं, सोलर प्लांट के नाम पर या किसी और नाम पर वह बंद होना चाहिए। चरवाहों को उनकी चारागाह की जमीनें सौंपी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि चारागाह की कुछ जमीनों पर चीन ने कब्जा कर लिया है और जो बची हैं, उन्हें कार्पोरेट को सौंपा जा रहा है। वे अफसोस जताते हैं कि यही वे चारागाह हैं, जहां वे भेंडे़ं पलती हैं, जिनसे दुनिया का सबसे बेहतरीन पश्मीना मिलता है। चारागाह खत्म होंगे तो पश्मीना भी खत्म हो जाएगा। वांचुक का कहना है कि हिमालय के पर्यावरण को बचाया जाए, जो न केवल लद्दाख बल्कि उत्तर भारत की जीवन रेखा है। यहीं से उत्तर भारत में बहने वाली नदियां निकलती हैं। यहां के ग्लेशियर ही इन नदियों के जलस्रोत हैं। विकास के नाम पर लद्दाख के बहुत ही नाजुक पर्यावरण के साथ खेल किया जा रहा है, जो हमारे लिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत भयानक साबित होने वाला है। कार्पोरेट को बिना सोचे-समझे जमीनें दी जा रही हैं, यहां के पर्यावरण को नष्ट करने वाले उद्योग लगाए जा रहे हैं। वे आगे कहते हैं कि भले ही इसके भयानक दुष्परिणाम आज न दिखें, लेकिन 30-40 सालों के भीतर सब कुछ तबाह हो जाएगा। इसे बचाना जरूरी है, न केवल लद्दाख के लिए बल्कि पूरे देश के लिए। लद्दाख जहां बारिश न के बराबर होती थी , इस साल बारिश ने खुबानी और सेब की खेती बर्बाद कर दी और जहां कई साल पहले बर्फ कितने फीट में होती थी ,अब कुछ ही इंच में सिमटकर रह गई है !!! ऐसा क्लाइमेट चेंज का अनुभव एक बार खुद जाकर ठंडी में कीजिए । एक बार खुद जाकर देख आइए SECMOL और वहां के बच्चों से मिलिए और कैंपस टूर कर लीजिए क्योंकि अपने यहां तो ऐसे स्कूल नहीं है , जिनका टूर कराया जा सके !! आपका एक बार मन जरूर करेगा कि काश हम भी यहीं पढ़े होते ...। तब समझ आ जाएगा आखिर क्यों राजकुमार हिरनी ने वो स्कूल ही चुना मूवी के लिए ... और क्यों रैंचो सब कुछ छोड़कर लद्दाख चला गया था मूवी में ...??!! एक बार जाकर देखिए सोलर टेंट ,जिसमें आर्मी के लोग रहते हैं और खुद सियाचिन जाकर देखिए ,जहां कैसे सोनम सर द्वारा कस्टमाइज्ड सोलर टेंट और कंटेनर में आर्मी के लोग , इतनी ठंडक में भी सीमा पर रहकर आखिर कैसे दिन–रात सेवा दे रहे हैं .. ?!! एक बार जाकर देखिए जितने गांव में ice stupa project के तहत ice stupa बनाए जाते हैं, क्योंकि इतनी ठंडी में बनाए जाने वाले ice stupa को कुछ भी बोल देना आसान है ,लेकिन उसमे दिन रात लगने वाली मेहनत को देखना है, तो एक बार ही सही जनवरी –फ़रवरी में होकर आइए लद्दाख और हर वो गांव जाकर लोगों से खुद बात करिए , जिस जिस गांव में स्तूपा बनाए जाते हैं ...। ( गांव : phyang के आखिरी में , जी हां ,वही गांव जहां सोनम वांगचुक का HIAL इंस्टीट्यूट स्थित है और गांव : Tarchit , Gaya , Shara और कारगिल के कुछ गांव ) । . ##कौशिक-राज़... ✍️
kaushik Samarjeet Singh "Raaz"
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10 दिन पहले
#📰 बिहार अपडेट #🤓इलेक्शन मीम्स😆 #🆕 ताजा अपडेट #📢 ताज़ा खबर 🗞️ कुल साल पहले (2017 में) सरकार ने लेटेस्ट 6 नए IIT कैंपसों के निर्माण के लिए पैसे मंजूर किए थे। इसमें से एक IIT आंध्र प्रदेश (तिरुपति), दूसरा केरल (पलक्कड़), तीसरा कर्नाटक (धारवाड़), चौथा जम्मू एंड कश्मीर (जम्मू) , पांचवां छत्तीसगढ़ (भिलाई) और छठा गोवा को मिला था। जानते हैं इन 6 IIT को बनाने के लिए टोटल कितना रुपया सैंक्शन किया गया था? मात्र ₹7000 करोड़। जबकि कल बिहार में चुनाव के ठीक पहले महिलाओं को लुभाने के लिए ₹7500 करोड़ भेजा गया है। अच्छा एक और बात, इतने बड़े बिहार में कुल एक IIT है, IIT पटना, जो कि 2008 में बना था। जबकि उससे सौ गुना छोटे गोवा में भी एक IIT है जो इसी सरकार ने दिया। उत्तर प्रदेश जो कि शायद तेलंगाना, तमिलनाडु और बिहार तीनों को मिलाकर भी बराबर नहीं होगा, उसमें भी दो ही IIT हैं, दोनों ही काफ़ी पुराने हैं। मतलब यूपी और बिहार दोनों को ही पिछले 11 सालों में कोई नया IIT नहीं मिला है, जबकि दोनों के ही पास अपनी जनसंख्या के हिसाब से काफ़ी कम हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल, उत्तराखंड को भी नहीं मिला है। हरियाणा में तो एक भी है ही नहीं, शायद सरकार को नहीं लगता कि हरियाणा के लोग टेक्निकली इस लायक हैं कि IIT में पढ़ें। और यही सरकार सबसे ज्यादा रोती है कि देश में इंजीनियरिंग ग्रेजुएट तो जरूरत से ज्यादा हैं लेकिन एम्प्लॉयबल एक तिहाई भी नहीं, फिर भी 2017 के बाद किसी भी नए IIT के निर्माण की कोई घोषणा सरकार ने नहीं की है। जबकि सरकारी गणना के हिसाब से एक IIT बनाने का खर्च मात्र ₹1200 करोड़ ही है। इसके अलावा दक्षिण के राज्यों में विकास और उत्तर में रेवड़ी, ये इस सरकार की स्थाई नीति रही है। सोचिए कांग्रेस कितनी बड़ी बेवकूफ थी, जो 2008 में IIT पटना और 2009 में IIT इंदौर बना के गई, और दोनों राज्यों में एक एक लोकसभा सीट को तरसती है। यूपी को IIT कानपुर (1959) के बाद दूसरा IIT 2012 में दिया, वहां भी दो चार सीट के लिए जूझती है। . ##कौशिक-राज़... ✍️
kaushik Samarjeet Singh "Raaz"
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20 दिन पहले
#🟠भाजपा #🎂पीएम मोदी बर्थडे स्पेशल 🙏. नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में जिस भी चीज का श्रेय लेते हैं, वह कुछ भी उन्होंने शुरू नहीं किया। फ्री अनाज - भोजन का अधिकार 2013 में कांग्रेस लाई डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर - कांग्रेस ने 2013 में शुरू किया आधार - कांग्रेस ने 2009 में शुरू किया मनरेगा - दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार योजना कांग्रेस लाई पीएम पोषण योजना - कांग्रेस के मिड डे मील का नाम बदल दिया जन धन योजना - Basic Savings Bank Deposit Account Scheme का नाम बदला गया। जन औषधि योजना - मनमोहन सिंह ने 2010 में देश भर में जन औषधि केंद्र खुलवाया। मोदी ने इसकी रीब्रांडिंग की और नाम रख दिया प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना। गैस सिलेंडर - मनमोहन सरकार अमीर गरीब सबको 9 सिलेंडर 410 में देती थी। मोदी ने फ्री कनेक्शन बांटा और सिलेंडर 1150 तक पहुंचा दिया। ले देकर एक स्मार्ट सिटी योजना का आइडिया मौलिक था वह भी अपनी मौत मर गया। इनकी अपनी एक ही सफल योजना है - नेहरू को गरियाओ, जनता का ध्यान भटकाओ और किसी तरह समय बिताओ। . ##कौशिक-राज़... ✍️
kaushik Samarjeet Singh "Raaz"
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24 दिन पहले
#🏆भारत पाकिस्तान मैच 🏆 एशिया कप #😍मेरा पसंदीदा खिलाड़ी "शहीदों के लहू पर क्रिकेट का उत्सव।" प्रिय BCCI @BCCI कभी-कभी लगता है कि यह मुल्क अब भावनाओं से नहीं, केवल आयोजनों और विज्ञापन-स्पॉन्सरशिप से चल रहा है। अभी कुछ ही महीने बीते हैं जब ऑपरेशन सिंदूर की गूँज पूरे देश में थी। पहलगाम की घाटियों में खून बहा था, मासूम ज़िंदगियाँ बिखर गई थीं। उन रास्तों पर आज भी लहू की गंध होगी, उन पेड़ों की जड़ों में आज भी माताओं की चीखें धंसी होंगी। कितनी बहनों का सिंदूर उजड़ा, कितनी माँओं की गोद सुनी हुई, कितनी पत्नियों की आँखें पत्थर बन गईं। और आज, उसी धरती पर हम क्रिकेट का उत्सव रच रहे हैं। जिस मुल्क से दर्द की गोलियाँ आती हैं, उसी मुल्क से क्रिकेट की गेंद और बल्ला मँगाकर हम ‘भाईचारे’ का खेल खेलते हैं। यह कैसी विडंबना है? यह कैसा देशप्रेम है, बीसीसीआई? क्या आपकी बोर्ड-रूम की ठंडी दीवारों पर कभी शहीदों के चेहरों की परछाई पड़ी है? क्या स्पॉन्सर्स की चमकदार रोशनी में कभी उन विधवाओं की सिसकियाँ सुनाई देती हैं, जिनकी दुनिया पहलगाम में खामोश कर दी गई? आपके लिए यह सिर्फ मैच है, लेकिन उन घरों के लिए यह जले पर नमक है। कहते हैं, खेल को राजनीति से अलग रखना चाहिए। लेकिन जब खून की नदी राजनीति नहीं, बल्कि ज़मीन की सच्चाई से बह रही हो, तब खेल का यह दिखावा किस काम का? क्या हमारे खिलाड़ी कल हाथ मिलाएँगे उन हाथों से जो सीमा के उस पार से आई गोलियों की सरपरस्ती करते हैं? क्या वे मुस्कराएँगे उन मुस्कानों के साथ, जिनके पीछे हमारी बहनों की विधवापन की कराह दबी है? देश का दिल टूटा है, और आप टिकट बेच रहे हैं। देश की आँखें रो रही हैं, और आप ब्रॉडकास्टिंग राइट्स नीलाम कर रहे हैं। देश की आत्मा कराह रही है, और आप कह रहे हैं, "खेल भावना सबसे ऊपर है।" नहीं, बीसीसीआई, देशप्रेम ऐसे नहीं चलता। देशप्रेम केवल स्टेडियम की गूंजती भीड़ और स्क्रीन पर झंडा लहराने का नाम नहीं है। देशप्रेम वह है जो पहलगाम की विधवाओं की आँखों में लिखा है। देशप्रेम वह है जो उन बच्चों की खामोशी में सुनाई देता है जिन्होंने अपने पिता को तिरंगे में लिपटे देखा है। आप क्रिकेट को देवता मानते हैं। लेकिन याद रखिए, यह वही देश है जहाँ लोग ज़्यादा गहराई से याद करते हैं कि किसकी आँखें नम हुई थीं और किसके बल्ले ने चौका मारा था। यह वही देश है जहाँ शहीद की चिता ठंडी नहीं हुई होती और आप मैच का कैलेंडर जारी कर देते हैं। क्या सचमुच यह वही भारत है, जहाँ सिंदूर उजड़ने के बाद भी खेल सबसे बड़ा उत्सव है? अगर हाँ, तो यह सिर्फ़ खेल की जीत नहीं, बल्कि हमारी संवेदना की हार है। ख़त लिखने वाला लड़का। . ##कौशिक-राज़... ✍️
kaushik Samarjeet Singh "Raaz"
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1 महीने पहले
#🌑चंद्र ग्रहण की फोटो-वीडियो🌒 पूरा दुख और आधा चांद, हिज्र की शब और ऐसा चांद! . इतने घने बादल के पीछे कितना तन्हा होगा चांद . ##कौशिक-राज़... ✍️
kaushik Samarjeet Singh "Raaz"
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1 महीने पहले
#🏵 डाo कुमार विश्वास 🏵 #📹 वायरल वीडियो #🙏🏻आध्यात्मिकता😇 #✍मेरे पसंदीदा लेखक "राम का गुणगान पर पत्नी पर घोटाले का दाग।" प्रिय कुमार विश्वास, आपको मंच पर देखता हूँ तो लगता है जैसे शब्दों के मेघमंडल में कोई बाज़ीगर उतर आया हो, तालियों की गड़गड़ाहट, भीड़ का जोश, और आपके हर वाक्य में ‘राम।' आप राम के आचरण को इस तरह गाते हैं मानो उनकी मर्यादा आपके ही घर आँगन में जन्मी हो। आप ईमानदारी को इतना सजाकर सुनाते हैं कि श्रोता मान लेते हैं – यही है सच्चे धर्मगुरु का स्वर। लेकिन सवाल यह है, कुमार साहब, अगर राम का आचरण आपके ही घर की चौखट पार न कर पाया तो फिर यह मेले-मंचों पर गाए गए गीत क्या मायने रखते हैं? जब आपकी अपनी ही पत्नी मंजू शर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, राजस्थान SI भर्ती घोटाले का साया उन पर पड़ा, तो आपके रामकथा वाले शब्द क्यों मौन हो गए? आपने क्यों नहीं उसी निर्भीकता से जनता के सामने कहा कि "हाँ, सत्य यही है, और मैं अपने ही घर की ईमानदारी का हिसाब दूँगा"? मंच पर आप दूसरों के बच्चों के नाम तय करने चले आते हैं। कभी कहते हैं कि भारत में किसी के बेटे का नाम यह तैमूर नहीं होना चाहिए, कभी कहते हैं बेटी का नाम वह होना चाहिए। पर क्या यह वही मर्यादा है जिसका आपने राम से सीखा? राम ने तो कभी अपने आचरण को दूसरों पर थोपने की कोशिश नहीं की, उन्होंने पहले खुद को साधा, खुद को परखा, और फिर समाज ने उन्हें ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ कहा। लेकिन आपने उल्टा रास्ता चुना– पहले समाज को उपदेश, और जब घर की खिड़की खुली तो भीतर अंधेरा। कवि को लोग इसलिए सुनते हैं कि वह अपनी कलम से अपने ही घर की धूल साफ करता है। लेकिन आपके यहाँ धूल को चादर से ढक दिया गया। जनता के सामने आप उजाला दिखाते रहे, और भीतर की अंधेरी कोठरी का दरवाज़ा बंद रखा। क्या यह वही कविता है, जिसे हम सत्य का आईना कहते हैं? कुमार साहब, आलोचना आपको चोट पहुँचा सकती है, लेकिन यह वह चाकू है जो घाव नहीं करता, बल्कि मवाद निकालता है। आपकी कविताएँ जितनी सुरीली हैं, उतनी ही खामोश हो जाती हैं जब सवाल आपकी निजी ईमानदारी पर टिकता है। आप बार-बार राम का नाम लेते हैं, लेकिन भूल जाते हैं कि राम ने सबसे पहले अपने ही आचरण को धर्म का प्रमाण बनाया। जिस ईमानदारी का गुण गाकर आप केजरीवाल को गरियाते रहते थे, उसी ईमानदारी को आपकी पत्नी ने स्वाहा कर दिया। मुझे लगता है आपको जानकारी नहीं होगी, क्योंकि आपकी पत्नी पैसा घर से बाहर ही दफना देती होगी, रामराज्य वाले कवि के यहां भ्रष्टाचार वाला पैसा लेकर जाना पाप जो है। कवि का धर्म जनता को जगाना है, उसे बहकाना नहीं। और जब कवि ही उपदेशक बनकर अपनी ही गलती छिपाने लगे तो वह कविता खोखली लगने लगती है। आपको यह खत इसलिए लिख रहा हूँ कि कहीं आपकी कविताएँ केवल भीड़ की ताली की गूंज बनकर न रह जाएँ। लोग जब इतिहास पढ़ेंगे तो यह न लिखें कि कुमार विश्वास ने राम का नाम लिया, पर राम की मर्यादा को घर की देहरी पर ही छोड़ आए। ख़त लिखने वाला मासूम लड़का... . ##कौशिक-राज़... ✍️
kaushik Samarjeet Singh "Raaz"
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1 महीने पहले
#🎂 जन्मदिन🎂 #❤️शुभकामना सन्देश #💕 प्यार भरी शुभकामनाएं "जन्मदिन मुबारक, उस लड़की को जिसने मुझे बनाया।" प्रिय, आज तुम्हारा जन्मदिन है। शाम ढल रही है और मैं यहाँ बैठा सोच रहा हूँ कि तुम कहाँ होगी – शायद किसी काम में उलझी हुई, शायद कहीं बेफिक्र निकली हुई। मुझे शक है कि तुम खुद भी भूल गई होगी कि आज वही दिन है, जिस दिन इस दुनिया ने तुम्हें मेरे हिस्से में लिखा। मैं अक्सर सोचता हूँ कि लड़कियों को इतना मेच्योर क्यों होना चाहिए कि वो अपने ही जन्मदिन को जी न पाएँ। मैं तो चाहता हूँ कि तुम इस दिन पर बस उतनी ही बच्ची बन जाओ जितनी तुम अपनी हंसी में होती हो। लेकिन तुम हो कि हर बार मुझे हैरान कर देती हो – अपने संयम से, अपने जिम्मेदार होने से, अपने उस गंभीरपन से जो तुम्हें औरों से अलग बनाता है। पिछले साल मैंने सुबह तुम्हें विश किया था। याद है? पूरा दिन तुम्हारे तानों में बीत गया। तुमने कहा था, "देखा, तुम्हें याद ही नहीं था, अगर सच में होता तो रात को ही विश करते।" उसी दिन मैंने तय कर लिया था कि अगली बार तुम्हारे लिए बारह बजते ही आसमान से पहला तारा चुनकर भेज दूँगा। और इस बार मैंने वही किया। तुम कुछ घंटों के लिए बहुत खुश हुई, फिर लौट गई अपनी ही गहराइयों में। लेकिन मुझे लगा, कहीं न कहीं तुम मुझमें भी खोई थी। संघर्ष मेरा अभी भी है, लेकिन गरीबी उतनी निर्दयी नहीं रही जितनी पहले थी। और इसका सबसे बड़ा कारण तुम हो। तुमने मुझे तिनका-तिनका जोड़कर खड़ा किया है। मैं तुम्हारे सामने टूटकर रोया भी हूँ, बेहिसाब हंसा भी हूँ। जब मैं बिखर जाता था, तुमने अपनी हथेलियों से मेरी बिखरी हुई रूह को समेटा। जब रात भर मैं फोन नहीं उठाता था, तुम बिना पूछे समझ जाती थी कि मैं डिप्रेशन की अंधेरी सुरंग में हूँ। तुम्हें आज भी मेरे हर झूठ की भनक लग जाती है। और फिर तुमने अपने अंदाज़ में डांटते हुए कहा था–"बताते क्यों नहीं? लो ये लो हजारों रुपये, जाकर ऐस करो! " उस पल तुम सिर्फ मेरी साथी नहीं, बल्कि मेरे लिए वो.... आज तुम्हारा जन्मदिन है। और मुझे अच्छा लगता है ये सोचकर कि मेरी ज़िन्दगी की सबसे खूबसूरत औरत आज के दिन इस दुनिया में आई थी। तुम निकली हो कहीं, शायद किसी छोटे-मोटे काम से। और मैं मुस्कुराकर सोच रहा हूँ–क्या सच में आज भी कोई काम करता है? वो भी लड़की? लेकिन यही तो तुम्हारी पहचान है। तुम काम करती हो, जीती हो, थामती हो, और फिर भी दूसरों के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर देती हो। आज इस चिट्ठी के बहाने मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि मैं तुम्हारे जन्मदिन पर कोई बड़ा तोहफ़ा नहीं दे सकता, लेकिन तुम्हारे हिस्से की खुशियां तुम्हें किश्तों में देता रहूंगा। तुम मेरी आँखों में विश्वास हो, मेरे शब्दों में अर्थ हो, और मेरे संघर्ष में उम्मीद। जन्मदिन मुबारक हो, मेरी रूह की सबसे गहरी साथी। ख़त लिखने वाला मासूम लड़का। . ##कौशिक-राज़... ✍️
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