सुनो....
यदि मैं लिख दुं कुछ - मौन भाषा में...
तुम समझ पाओगे क्या..?
मैं गर पुकारूं बिना आवाज -
के, तुम सुन पाओगे क्या..?
शब्द रचनाओं में मेरे भाव नहीं समझ आएंगे_
तुम सिर्फ_ इन्हें पढ़ के -
अनुभुत कर पाओगे क्या..?
हजारों जवाब हैं___
तुम्हारे एक सवाल के....
किन्तु मैं देना एक भी नहीं चाहतीं,
क्योंकि... जानती हूं.. सभी निरर्थक हैं...
{समझतीं हूं- हालातों में__
-किसी का कुछ भी कहना...!!}
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