🙏राम राम जी : CJC🙏
*सबसे महत्वपूर्ण*
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मेरी माँ मुझसे अक्सर पूछती थीं, कि *"शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग कौन सा है?"*
सालों तक मैं अंदाज़ा लगाकर गलत जवाब देती रही..
जब मैं छोटी थी, तो मुझे लगता था कि सुनने की शक्ति हम इंसानों के लिए बहुत ज़रूरी है, इसलिए मैंने कहा, *'मेरे कान, माँ।'*
उन्होंने कहा, *'नहीं! बहुत से लोग बहरे होते हैं। लेकिन तुम इसके बारे में सोचती रहो, मैं तुमसे जल्द ही फिर पूछूँगी...'*
कुछ समय बाद, फिर उन्होंने मुझसे दोबारा पूछा तो पहली बार असफल कोशिश करने के बाद, मैंने सही जवाब के बारे में काफी सोच लिया था।
इसलिए इस बार मैंने उनसे कहा, *'माँ, देखने की शक्ति तो सबके लिए बहुत ज़रूरी है, इसलिए हमारी आँखें ही सबसे ज़रूरी होंगी।'*
उन्होंने मेरी तरफ देखा और कहा, *'तुम जल्दी सीख रही हो, लेकिन जवाब सही नहीं है क्योंकि बहुत से लोग अंधे भी होते हैं।'*
एक बार फिर असमंजस में पड़कर, मैंने ज्ञान की खोज जारी रखी और *अगले कई वर्षों में, माँ ने मुझसे कई बार पूछा और हर बार उनका जवाब होता था, 'नहीं। लेकिन तुम हर साल और समझदार होती जा रही हो, मेरे बच्चे!'*
फिर एक साल मेरे दादाजी का निधन हो गया। सबको दुख हुआ। सब रो रहे थे। मेरे पिताजी भी रोए... मुझे वह पल खास तौर पर याद है क्योंकि मैंने उन्हें दूसरी बार रोते हुए देखा था। उन्हीं दिनों मेरी माँ ने फिर मुझसे पूछा, *'क्या तुम्हें अब तक शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग नहीं पता चला?'*
ऐसे समय, जब मुझसे यह सवाल पूछा गया तो *मैं चौंक गई, मैं हमेशा यही सोचती थी कि यह हमारे बीच का एक खेल है?*
उन्होंने मेरे चेहरे पर उलझन देखी और मुझसे कहा, *'यह सवाल बहुत महत्वपूर्ण है, इससे पता चलता है, कि तुमने सचमुच जीवन जिया है... हर बार तुमने मुझे शरीर का जो भी अंग बताये, मैंने तुम्हें बताया कि वह गलत था और मैंने तुम्हें उदाहरण देकर भी समझाया कि क्यों ? लेकिन आज वह दिन है जब तुम्हें यह महत्वपूर्ण सबक सीखना होगा!'*
उन्होंने मेरी ओर ऐसे देखा जैसे कोई टीचर देखती है, मैंने देखा उनकी आँखों में आँसू भर आए, उन्होंने कहा, *'मेरे प्यारे बच्चे, शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग तुम्हारा कंधा है...'*
मैंने पूछा, *'क्या इसलिए कि यह मेरा सिर थामे रहता है?'*
उन्होंने जवाब दिया, 'नहीं, *इसलिए कि यह किसी दोस्त या प्रियजन के सिर को थाम सकता है जब वे रोते हैं... मेरे बच्चे, जीवन में कभी न कभी हर किसी को रोने के लिए एक कंधे की ज़रूरत होती है... मैं बस यही आशा करती हूँ कि तुम्हें इतना प्यार और दोस्त मिलें कि जब भी तुम्हें ज़रूरत हो, तुम्हारे पास रोने के लिए हमेशा एक कंधा हो।"*
तब मुझे यह बात समझ में आई कि *"शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग कंधा है... यह दूसरों के लिए बना है, स्वयं के लिए नहीं..!"*
यह दूसरों के दर्द को समझता है, *"लोग भूल जाएंगे कि आपने क्या कहा? लोग भूल जाएंगे कि आपने क्या किया? लेकिन लोग यह कभी नहीं भूलेंगे कि आपने उन्हें कैसा महसूस कराया? इसलिए अपना कंधा मज़बूत रखें अपने लिए भी और दूसरों के लिए भी..."*
दोस्तों, *शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है कंधा, जो सहानुभूति और साथ का प्रतीक है क्योंकि दुख में शब्दों से ज़्यादा ज़रूरत होती है एक ऐसे कंधे की, जिस पर सिर रखकर रोया जा सके। सच्चे रिश्ते वही होते हैं जो सुख में मुस्कुराते हैं और दुख में कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़े रहते हैं। याद रखें लोग आपके शब्द या कार्य भूल सकते हैं, लेकिन उन्हें आपने कैसा महसूस कराया, यह हमेशा याद रहेगा।*
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