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#✍️ साहित्य एवं शायरी
✍️ साहित्य एवं शायरी - मैंने बहुत से " इन्सान " देखे हैं जिनके बदन पर "लिबास" नहीं होता। "लिबास" देखे हैं और बहुत से इन्सान" नहीं होता। जिनके अन्दर हालात" को नहीं समझता , कोई 15 तो कोई " जज़्बात " को नहीं समझता | ये तो बस अपनी अपनी " समझ" है [[ कोई "कोरा कागज़ ள46 लेता है, तो कोई पूरी किताब" नहीं समझता | मैंने बहुत से " इन्सान " देखे हैं जिनके बदन पर "लिबास" नहीं होता। "लिबास" देखे हैं और बहुत से इन्सान" नहीं होता। जिनके अन्दर हालात" को नहीं समझता , कोई 15 तो कोई " जज़्बात " को नहीं समझता | ये तो बस अपनी अपनी " समझ" है [[ कोई "कोरा कागज़ ள46 लेता है, तो कोई पूरी किताब" नहीं समझता | - ShareChat

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