बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने संपत्ति के एक विवाद में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। फैसले में कोर्ट का कहना है कि हाउस वाइफ के नाम पर खरीदी गई प्रॉपर्टी पारिवारिक संपत्ति होती है, क्योंकि पत्नी के पास इनकम का कोई (independent source) स्वतंत्र स्रोत नहीं है। इन सभी हालात को देखते हुए अदालत ने कहा कि हिंदू धर्म में पति आमतौर पर अपनी पत्नी के नाम ही संपत्ति खरीदते हैं।
इलाहबाद हाई कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
हाईकोर्ट ने एक पुत्र की ओर से दिवंगत पिता की संपत्ति में सह स्वामित्व (co-ownership) के दावे को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 114 के तहत यह माना जा सकता है कि हिंदू पति की ओर से अपनी पत्नी के नाम पर खरीदी गई प्रॉपर्टी (Property purchased in wife's name), परिवार की संपत्ति होगी। क्योंकि आमतौर पर पति पारिवारिक हित में अपनी पत्नी के नाम ही संपत्ति खरीदता है, जिसके पास इनकम (Independent source of income) का कोई इंडिपेंडेंट सोर्स नहीं होता। पत्नी की आय प्रमाणित करना बहुत जरूरी
अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि जब तक यह प्रमाणित न हो जाए परचेज की गई प्रॉपर्टी पत्नी की इनकम (wife's income) से खरीदी गई है, तब तक उस प्रॉपर्टी को पति की इनकम से खरीदा ही माना जाएगा। बता दें कि हाईकोर्ट में अपीलकर्ता सौरभ गुप्ता ने यह मांग करते हुए अपील दायर की थी कि उसे उसके पिता द्वारा खरीदी गई प्रॉपर्टी (property purchased by father) के एक चौथाई हिस्से का सह स्वामी का दर्जा दिया जाए। क्योंकि प्रॉपर्टी उसके दिवंगत पिता की ओर से खरीदी गई थी, जिसमें अपनी मां के साथ-साथ वह भी सह हिस्सेदार है। #कानून #🏵 भारतीय कानून 🏵 #भारतीय संपूर्ण कानून जानकारी
