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#दिल के अल्फाज़
दिल के अल्फाज़ - कभी मैंने किसी को॰. परखा ही नहीं, दिल से चाहा मगर... बदले में उतना पाया ही नहीं, शायद मेरी भी कमी... ক্িমী িল ব্রী মনাৎ, या फिर रब ने मुझे.. ऐसा बनाया ही नहीं| कभी मैंने किसी को॰. परखा ही नहीं, दिल से चाहा मगर... बदले में उतना पाया ही नहीं, शायद मेरी भी कमी... ক্িমী িল ব্রী মনাৎ, या फिर रब ने मुझे.. ऐसा बनाया ही नहीं| - ShareChat

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