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#shero shayari #❤️Love You ज़िंदगी ❤️ #😘रोमांटिक सॉन्ग #💝 शायराना इश्क़
shero shayari - ग़ज़ल हो गया वो किसी और का आश्रा, हम उसे पाने की वहशत न कर सके। गर्दिश में रहे अव्सर हमारे सितारे, हम किसी रईस की तरह मोहब्चत न कर सके। हमें लगता था कि उसे हमारी मोहच्बत चाहिए थी, मगर अफ़सोस हम उसके नाम दीोलत न कर सके। सुना हे उसे मलाल नहीं दिल तोड़ने का, हम उसके दिल में पेदा दहशत न कर सके। बेवफाा्ां मुसलसल, हमसे ' वो करता रहा हम उससे रिश्ता तोड़ने की जुर्रत न कर सके। पूं तो हमने बना लिया था उसको खुदा, मगर हम फरिश्तों की तरह उसकी खिदमत न कर सके। चापलूसिया, शायद उसको रास आ गई उसकी उसे लगता हे हम उसकी इज़्ज़त न कर सके। सहते रहे हम उसके वो नखरे वो जुल्म, उसे लगता हे हम उससे शफकत न कर सके। चाहते तो हम भी दे देते उसे धोखा इश्क में, मगर हम उससे कोई अदावत न कर सके। में खुश ' कहा था उसने आखिरी मुलाकात रहने को, मगर हम उसकी इस बात से खुदको सहमत न कर सके। सुना हे ग़ुजरा हे वो अभी अभी गली से॰ मगर हम मुंतशिर दरवाजे तक जाने की ज़हमत न कर सके। बेठा था वो पहली सफ में बड़े सलीके से॰ मगर हम उस महफ़िल में शिरकत न कर सके। गुज़र गई हमारी हयात गमों के सायों में॰ सारे फरिश्ते भी हम पे कोई रहमत न कर सके। अकेले ही तय किया हमने ज़िंदगी का सफ़र, पगर हय अपनी मंज़िल से उल्फत न कर सके। Quotes Creator B ग़ज़ल हो गया वो किसी और का आश्रा, हम उसे पाने की वहशत न कर सके। गर्दिश में रहे अव्सर हमारे सितारे, हम किसी रईस की तरह मोहब्चत न कर सके। हमें लगता था कि उसे हमारी मोहच्बत चाहिए थी, मगर अफ़सोस हम उसके नाम दीोलत न कर सके। सुना हे उसे मलाल नहीं दिल तोड़ने का, हम उसके दिल में पेदा दहशत न कर सके। बेवफाा्ां मुसलसल, हमसे ' वो करता रहा हम उससे रिश्ता तोड़ने की जुर्रत न कर सके। पूं तो हमने बना लिया था उसको खुदा, मगर हम फरिश्तों की तरह उसकी खिदमत न कर सके। चापलूसिया, शायद उसको रास आ गई उसकी उसे लगता हे हम उसकी इज़्ज़त न कर सके। सहते रहे हम उसके वो नखरे वो जुल्म, उसे लगता हे हम उससे शफकत न कर सके। चाहते तो हम भी दे देते उसे धोखा इश्क में, मगर हम उससे कोई अदावत न कर सके। में खुश ' कहा था उसने आखिरी मुलाकात रहने को, मगर हम उसकी इस बात से खुदको सहमत न कर सके। सुना हे ग़ुजरा हे वो अभी अभी गली से॰ मगर हम मुंतशिर दरवाजे तक जाने की ज़हमत न कर सके। बेठा था वो पहली सफ में बड़े सलीके से॰ मगर हम उस महफ़िल में शिरकत न कर सके। गुज़र गई हमारी हयात गमों के सायों में॰ सारे फरिश्ते भी हम पे कोई रहमत न कर सके। अकेले ही तय किया हमने ज़िंदगी का सफ़र, पगर हय अपनी मंज़िल से उल्फत न कर सके। Quotes Creator B - ShareChat

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