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बुद्ध का चिरपरिचित संदेश — शारीरिक पीड़ा और मानसिक पीड़ा का तेज़ और सरल सच: जो शरीर में आता है वह तात्कालिक-संवेदी है पर मन में दिखने वाली पीड़ा यादों, आशंकाओं और पहचान की लहरों से बनी निरंतर धार है; बुद्ध ने दुःख (dukkha) की पहचान कर उसका निदान समझाया — पीड़ा का विज्ञान बताता है कि तंत्रिका मार्ग शारीरिक संकेत भेजते हैं जबकि मन उनका अर्थ देकर पीड़ा को बढ़ाता या घटाता है, इसलिए शारीरिक दर्द का तुरन्त धार्मिक या वैकल्पिक उपायों से मुकाबला करें पर मानसिक पीड़ा के लिए ध्यान, विश्लेषण और व्यवहारिक परिवर्तन जरूरी हैं; असरदार एक-लाइन-हुक और कोट: "दुःख की जड़ समझो, जड़ हटाओ — मुक्ति मिलती है" 🧠🔥🙏; एक चौंकाने वाला तथ्य: बुद्ध के शिक्षण में दुख को समझाने का मूलाधार था कि उसे पहचानकर ही उसे कम किया जा सकता है — यही सिद्धान्त आज मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान और न्यूरोबायोलॉजी से भी मेल खाता है. #दुःख #दुःखसेमुक्ति #BuddhaWisdom #मनऔर_शरीर 🕉️💡💬 @by by sc @good by @L by s @@༺🔱शिवा हूं मैं🔱༻ ✺͜͡𒋨➳➫और शिवा सच्चाई का अंश ह #शारीरिक पीड़ा और मानसिक पीड़ा by buddha
शारीरिक पीड़ा और मानसिक पीड़ा by buddha - digital নিসনি digital নিসনি - ShareChat

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