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hb - मेरे सब्र से तुम अभी वाकिफ ही कहां हो मैं मस्ती में रहूं तो मिट्टी से भी खेल लूं।और परिस्थिति में आ जाऊं तो चांद को भी नज़रअंदाज़ कर दूं॰.. ! मेरे सब्र से तुम अभी वाकिफ ही कहां हो मैं मस्ती में रहूं तो मिट्टी से भी खेल लूं।और परिस्थिति में आ जाऊं तो चांद को भी नज़रअंदाज़ कर दूं॰.. ! - ShareChat

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