।। श्रीमहालक्ष्मी सिद्ध शाबर मन्त्र ।।
विनियोग-
ॐ अस्य श्री धन-प्रद महालक्ष्मी सिद्धशाबर मन्त्रस्य श्री विष्णु ऋषिः अनुष्टुप छन्दः श्रीमहालक्ष्मी देवता श्रीं बीजं ह्रीं शक्तिः क्लीं कीलकं मम सकल कामना सिद्धयर्थे जपे विनियोगः।
पढ़ कर जल छोड़े।
ऋष्यादिन्यास:।
श्री विष्णु ऋषये नमः शिरसि।
अनुष्टुप छन्दसे नमः मुखे।
श्रीमहालक्ष्मी देवतायै नमः मुखे।
श्रीं बीजाय नमः गुह्ये।
ह्रीं शक्तये नमः पादयोः।
क्लीं कीलकाय नमः नाभौ।
मम सकल कामना सिद्धयर्थे जपे विनियोगाय नमः अञ्जलौ।।
करन्यास:।
श्रीं ह्रीं क्लीं अंगुष्ठाभ्यां नमः।
श्रीं ह्रीं क्लीं तर्जनीभ्यां नमः।
श्रीं ह्रीं क्लीं मध्यमाभ्यां नमः।
श्रीं ह्रीं क्लीं अनामिकाभ्यां नमः।
श्रीं ह्रीं क्लीं कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
श्रीं ह्रीं क्लीं करतल-करपृष्ठाभ्यां नमः।।
हृदयादिन्यास:।
श्रीं ह्रीं क्लीं हृदयाय नमः।
श्रीं ह्रीं क्लीं शिरसे स्वाहा।
श्रीं ह्रीं क्लीं शिखायै वषट्।
श्रीं ह्रीं क्लीं कवचायै हुम्।
श्रीं ह्रीं क्लीं नेत्र-त्रयाय वौषट्।
श्रीं ह्रीं क्लीं अस्त्राय फट्।
ध्यान-
ॐ या सा पद्मासनस्था विपुल-कटि-तटिर्पद्म-पत्रायताक्षी,
गम्भीरावर्त्त-नाभिः स्तन-भर-नमिता शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया।
लक्ष्मीर्दिव्यैगजेन्द्रैर्मणि-गण-खचितै स्नापिता हेम-कुम्भैः,
नित्यं सा पद्म-हस्ता मम वसतु गृहे सर्व-माङ्गल्य-युक्ता।।
मन्त्र-
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन-पालिनी ! लक्ष्मि ! मम दारिद्रय नाशय नाशय प्रचुरं धनं मे देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ।
विधि: १००० जप नित्य १० दिन तक करे | इसके बाद तद्दशांश हवन, तर्पण, मार्जन और ब्राह्मण- भोजन करे।
हवन-सामग्री-
खस, इन्द्र-यव, सफेद चन्दन, अगर, तगर, जटामांसी, छबीला, पञ्चमेवा, शक्कर और गौ-घृत।
।। श्रीमहालक्ष्म्यै नमः ।।
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