ShareChat
click to see wallet page
#worlofpoetry9990
worlofpoetry9990 - ख्वाबों में अब जरा जगने लगा हूँ जिंदगी को बेहतर समझने लगा हूं कभी ऊँची हवा में उडता था शायद जमीं पर अब पैदल चलने लगा हूँ लफ्जों की मुझको ज़रूरत नहीं है चेहरों को जब से मैं पढ़ने लगा हूँ थक जाता हू अक्सर अब शोर से ख़ामोशियों से बातें करने लगा हूँ दुनियाँ की बदलती तस्वीर देख कर शायद मैं कुछ कुछ बदलने लगा हूँ नफरत के जहर को मिटाना ही होगा इरांदा यह मजबूत करने लगा हूँ परवाह नहीं कोई साथ आए मेरे मैं अकेला ही आगे बढ़ने लगा हूँ Worldofpoetry999o ख्वाबों में अब जरा जगने लगा हूँ जिंदगी को बेहतर समझने लगा हूं कभी ऊँची हवा में उडता था शायद जमीं पर अब पैदल चलने लगा हूँ लफ्जों की मुझको ज़रूरत नहीं है चेहरों को जब से मैं पढ़ने लगा हूँ थक जाता हू अक्सर अब शोर से ख़ामोशियों से बातें करने लगा हूँ दुनियाँ की बदलती तस्वीर देख कर शायद मैं कुछ कुछ बदलने लगा हूँ नफरत के जहर को मिटाना ही होगा इरांदा यह मजबूत करने लगा हूँ परवाह नहीं कोई साथ आए मेरे मैं अकेला ही आगे बढ़ने लगा हूँ Worldofpoetry999o - ShareChat

More like this