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इन दोनों तस्वीरों को गौर से देखिए । एक भगत सिंह राजगुरु सुखदेव के अंतिम संस्कार की है तथा दूसरी हिड़मा के अंतिम संस्कार की है । दोनों को ही सरकार ने आतंकवादी नक्सली अर्थात अपराधी बताया और मार दिया । किंतु सवाल यह है ही नहीं सवाल तो यह है जितने लोग उनकी मौत का तमाशा देखने आए अगर उसके 10% भी जीते जी उनके साथ आए होते तो शायद इनका यह हाल ना हुआ होता और अब तक पूंजी पैदा करके दुनिया को अपनी मुट्ठी में रखकर दर्दनाक मौत देने वाले खुद निपट गए होते । कल भी सरकार के विरुद्ध काम करने वालों की मौत का तमाशा सरकार और उसके लोग बनाते थे आज भी बनाते हैं और सबसे दुख की बात यह है कि उनकी मौत एक मेला बन के रह जाती है जिसमें व्यापारी सामान के साथ अपना ईमान भी बेचते हैं और जनता परिश्रम के साथ-साथ अपने अधिकार भी ठगवाती है । समझ नहीं पा रहा हूं की श्रद्धांजलि दूं, दुख मनाऊं या क्रोध करूं ? #🪔सिख धर्म के शहीद📿 #🙏350वें शहीदी दिवस Status🙏 #📢 ताज़ा खबर 🗞️ #🆕 ताजा अपडेट
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