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#satnam waheguru
satnam waheguru - Hukmnama 29/9/25 | 1/319 | धन धन श्री गुरु रामदासजी 616 सोरठि महला माइआ मोह मगनु अंधिआरै ५ || देवनहारु न जानै II जीउ पिंडु साजि जिनि रचिआ करि मानै II१II  अपुनो ad अर्थः हे भाई!़ जिस परमात्मा ने शरीर्जिंद बना के जीव को पैदा किया हुआ है, उस सब दातें देने वाले प्रभु के সাথ सांझ नहीं डालता। माया के मोह के (आत्मिक) जीव गहरी अंधकार में मस्त रहके अपनी ताकत को बड़ा समझता है। | g मन मूड़े देखि रहिओ प्रभ सुआमी II जो f सोई सोई जाणै रहै न कछूऐ छानी II रहाउ।। अर्थः हे मूर्ख मन! मालिक प्रभु (तेरी सारी करतूतें हर वक्त) कुछ करता है, (मालिक प्रभु) वही वही देख रहा है। নু তী जान लेता है, (उससे तेरी) कोई भी करतूत छुपी नहीं रह सकती। रहाउ। Hukmnama 29/9/25 | 1/319 | धन धन श्री गुरु रामदासजी 616 सोरठि महला माइआ मोह मगनु अंधिआरै ५ || देवनहारु न जानै II जीउ पिंडु साजि जिनि रचिआ करि मानै II१II  अपुनो ad अर्थः हे भाई!़ जिस परमात्मा ने शरीर्जिंद बना के जीव को पैदा किया हुआ है, उस सब दातें देने वाले प्रभु के সাথ सांझ नहीं डालता। माया के मोह के (आत्मिक) जीव गहरी अंधकार में मस्त रहके अपनी ताकत को बड़ा समझता है। | g मन मूड़े देखि रहिओ प्रभ सुआमी II जो f सोई सोई जाणै रहै न कछूऐ छानी II रहाउ।। अर्थः हे मूर्ख मन! मालिक प्रभु (तेरी सारी करतूतें हर वक्त) कुछ करता है, (मालिक प्रभु) वही वही देख रहा है। নু তী जान लेता है, (उससे तेरी) कोई भी करतूत छुपी नहीं रह सकती। रहाउ। - ShareChat

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