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✍️ साहित्य एवं शायरी - ना जाने मोहब्बत में कितने अफ़साने बन जाते हैं, शमां जिसको भी जलाती है वो परवाने बन जाते हैं, कुछ हासिल करना ही इश्क कि मंजिल नहीं होती, किसी को खोकर भी कुछ लोग दिवाने बन जाते 8. !! ना जाने मोहब्बत में कितने अफ़साने बन जाते हैं, शमां जिसको भी जलाती है वो परवाने बन जाते हैं, कुछ हासिल करना ही इश्क कि मंजिल नहीं होती, किसी को खोकर भी कुछ लोग दिवाने बन जाते 8. !! - ShareChat

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