सत्ताधारी पार्टी ने तो किसानी खत्म करने के लिए एक और नया कानून इस विधानसभा सत्र में पास कर दिया है लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस विरोध में कहाँ सड़क पर उतरी है?
अगर नहीं उतरी है तो सीधा मतलब समझिए कि इनकी लड़ाई जनता के हितों की,जन कल्याण की कतई नहीं है।इनकी लड़ाई बस अपने लिए कुर्सी की है।कुर्सी मिले तो माल बनाये बस!
नेपाल यूँ ही बर्बाद नहीं हुआ है।नेपाली राजनेताओं की तरह इन सबने करोड़ों-अरबों की पूंजी बना ली है व बच्चे विदेशों में पढ़ाई/मौज कर रहे है।
अगली बार खेत मे भैंस लेकर जाओगे तो पूछा जाएगा कि चारागाह भूमि की बजाय कृषि भूमि पर भैंस कैसे चरा रहे हो?खेतों में बने घरों को गिराया जाएगा क्योंकि आबादी भूमि में नहीं है व सक्षम अथॉरिटी से नक्शा पास नहीं है।
आज तुम्हे हनुमान बेनीवाल,नरेश मीणा, प्रह्लाद गुंजल जैसे खाँटी नेता पसंद नहीं है!तुम्हे प्रोफेशनल राजनेता चाहिए और प्रोफेशनल राजनेता पूंजी निर्माण में बहुत पारंगत होते है।
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