क्या होता अगर ‘मैं’ केवल दिमाग का भ्रम हो? अनत्ता की विस्मयकारी सीख बताती है कि आत्मा में कोई स्थायी अंश नहीं—सिर्फ बदलते न्यूरल पैटर्न्स का गेम, जिससे गैर-आसक्ति और आंतरिक शांति मिलती है। बुद्ध ने कहा, ‘रूप, वेदना, संज्ञा, संस्कार और चेतना—ये सब मेरा नहीं, ये मेरा आत्मा नहीं, ये मैं भी नहीं,’ और इस अंतर्दृष्टि से दुख का चक्र टूटता है। sabbe dhamma anatta: हर धम्म में निस्वत्व का बीज है🔍✨ #अनत्ता #NoSelf #बुद्धकीवाणी #NeuroWisdom @ananth @Ananth @Ananth Kumar Ananth @Mekala Ananth @aj.jeni ananth #anattā
