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शेर कज़लबाश #✒ शायरी
✒ शायरी - "शेर" उसी का शहर वही मुद्दई वही मुंसिफ़ हमें यक़ीं था हमारा क़ुसूर निकलेगा -कज़लबाश सुशील मेहता "शेर" उसी का शहर वही मुद्दई वही मुंसिफ़ हमें यक़ीं था हमारा क़ुसूर निकलेगा -कज़लबाश सुशील मेहता - ShareChat

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