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#ऋषि पंचमी पूजा विधि व्रत कथा 🙏 #आप सभी देशवासियों को ऋषि पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
ऋषि पंचमी पूजा विधि व्रत कथा - ऋषि पंचमी व्रत कथा विदर्भ देश में एक सदाचारी ब्राह्मण रहता था॰ उसकी पत्नी बड़ी पतिव्रता थी॰ था॰ उस ब्राह्मण के एक पुत्र और एक पुत्री दो जिसका नाम सुशीला  संतान थी॰ विवाह योग्य होने पर उसने समान कुलशील वर के साथ कन्या का विवाह कर दिया॰ दैवयोग से कुछ  ब्राह्मण दम्पति दिनों बाद वह विधवा हो गई॰ ব্রত্রী  कन्या सहित गंगा तट पर कुटिया बनाकर रहने लगे॰ एक दिन ब्राह्मण कन्या  सो रही थी कि उसका शरीर कीड़ों से भर गया॰ कन्या ने सारी बात मां से कही. मां ने पति से सब कहते हुए पूछा - प्राणनाथ! मेरी साध्वी कन्या की  यह गति होने का क्या कारण है? ब्राह्मण ने समाधि द्वारा इस घटना का पता लगाकर बताया - पूर्व जन्म नें भी यह कन्या ब्राह्मणी थी॰ रजस्वला होते ही बर्तन  1 छू दिए थे. इस जन्म में भी इसने लोगों की देखा - देखी ऋषि पंचमी  नहीं किया॰ इसलिए ನನಗ ಹ1ತ13 8 इसके  কা সন धर्म - शास्त्रों की मान्यता है कि रजस्वला स्त्री पहले दिन चाण्डालिनी , दिन ब्रह्मघातिनी तथा तीसरे दिन धोबिन के समान अपवित्र होती है॰ दूसरे  वह चौथे दिन स्नान करके शुद्ध होती है॰ यदि यह शुद्ध मन से अब भी  दुख दूर हो जाएंगे और अगले जन्म में ऋषि पंचमी का व्रत करें तो HR इसके " अटल सौभाग्य प्राप्त करेगी . पिता की आज्ञा से पुत्री ने विधिपूर्वक ऋषि  पंचमी का व्रत एवं पूजन किया॰ व्रत के प्रभाव से बह सारे दुखों से मुक्त हो गई॰ में उसे अटल सौभाग्य सहित अक्षय  अगले जन्म का भोग मिला ಫಾೆ್ ऋषि पंचमी व्रत कथा विदर्भ देश में एक सदाचारी ब्राह्मण रहता था॰ उसकी पत्नी बड़ी पतिव्रता थी॰ था॰ उस ब्राह्मण के एक पुत्र और एक पुत्री दो जिसका नाम सुशीला  संतान थी॰ विवाह योग्य होने पर उसने समान कुलशील वर के साथ कन्या का विवाह कर दिया॰ दैवयोग से कुछ  ब्राह्मण दम्पति दिनों बाद वह विधवा हो गई॰ ব্রত্রী  कन्या सहित गंगा तट पर कुटिया बनाकर रहने लगे॰ एक दिन ब्राह्मण कन्या  सो रही थी कि उसका शरीर कीड़ों से भर गया॰ कन्या ने सारी बात मां से कही. मां ने पति से सब कहते हुए पूछा - प्राणनाथ! मेरी साध्वी कन्या की  यह गति होने का क्या कारण है? ब्राह्मण ने समाधि द्वारा इस घटना का पता लगाकर बताया - पूर्व जन्म नें भी यह कन्या ब्राह्मणी थी॰ रजस्वला होते ही बर्तन  1 छू दिए थे. इस जन्म में भी इसने लोगों की देखा - देखी ऋषि पंचमी  नहीं किया॰ इसलिए ನನಗ ಹ1ತ13 8 इसके  কা সন धर्म - शास्त्रों की मान्यता है कि रजस्वला स्त्री पहले दिन चाण्डालिनी , दिन ब्रह्मघातिनी तथा तीसरे दिन धोबिन के समान अपवित्र होती है॰ दूसरे  वह चौथे दिन स्नान करके शुद्ध होती है॰ यदि यह शुद्ध मन से अब भी  दुख दूर हो जाएंगे और अगले जन्म में ऋषि पंचमी का व्रत करें तो HR इसके " अटल सौभाग्य प्राप्त करेगी . पिता की आज्ञा से पुत्री ने विधिपूर्वक ऋषि  पंचमी का व्रत एवं पूजन किया॰ व्रत के प्रभाव से बह सारे दुखों से मुक्त हो गई॰ में उसे अटल सौभाग्य सहित अक्षय  अगले जन्म का भोग मिला ಫಾೆ್ - ShareChat

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