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##ઓશો વાણી #ઓશો રજનીશ ના વિચારો #ઓશો રજનીશ #ઓશો #ઓશો વાણી
#ઓશો વાણી - जो प्राप्त हो जाए॰ उसमें संतुष्ट कौन होगा? जिसने औरज्यादा प्राप्त नही करना चाहा। सच, जिसने प्राप्त ही कुछ नहीं करना चाहा। {02 4 उसे जो भी मिल जाए चही काफी है॰ जरूसतसे ज्यादा है। औरएकबार किसी व्यक्तिको यह रहस्य पता चल जाए तो संतोष के आनंदकी कोई सीमा नहीं है। असंतोषके दुख की कोई सीमा नहीं हैः संतोषके आनंद की कोई सीमा नहीं है। असंतोष केनर्क का कोई अंतःनहीं हैः संतोष के स्वर्ग का भी कोई अंत चहीं है। alzze 3ii 'i uFisr Mir aF31.4 ha, Tiaನ('. 36)  जो प्राप्त हो जाए॰ उसमें संतुष्ट कौन होगा? जिसने औरज्यादा प्राप्त नही करना चाहा। सच, जिसने प्राप्त ही कुछ नहीं करना चाहा। {02 4 उसे जो भी मिल जाए चही काफी है॰ जरूसतसे ज्यादा है। औरएकबार किसी व्यक्तिको यह रहस्य पता चल जाए तो संतोष के आनंदकी कोई सीमा नहीं है। असंतोषके दुख की कोई सीमा नहीं हैः संतोषके आनंद की कोई सीमा नहीं है। असंतोष केनर्क का कोई अंतःनहीं हैः संतोष के स्वर्ग का भी कोई अंत चहीं है। alzze 3ii 'i uFisr Mir aF31.4 ha, Tiaನ('. 36) - ShareChat

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