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#श्रीमद भगवद गीता उपदेश 🙏🙏 #भगवद गीता सार #🙏गीता ज्ञान🛕 #🙏🏻आध्यात्मिकता😇 #🙏गुरु महिमा😇
श्रीमद भगवद गीता उपदेश 🙏🙏 - सर्गाणामादिरन्तश्च मध्यं चैवाहमर्जुन। अध्यात्मविद्या विद्यानां वादः प्रवदतामहम्ा| अर्जन! सृष्टियां का औदि और अंत तथा मध्य भी मैं ही हूँl मै विद्याओं में अध्यात्मविद्या अर्थत् ब्रह्मविद्या और परस्पर विवाद करने चा्लों का तत्व निर्णय के लिए किया जाने चाला वाद ह ||32|| व्यख्यः इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं किः सृष्टियो के सजन पालन औरसंहर का सगणामादस्तश् जा क्रम है उसमेमैहीउनका प्ररंभ और अंतह अथतमैं के प्रारंभ और अंत का कारण ह 3٤ इसक अलावा, मैही सृष्टि के मध्य में भी ೊಳೆ aಾಣರ್ತ उपस्थित ह यानि कि सृष्टि कहर चरण मे उसक हर हिस्से मेमैहीसंपूर्ण रूप सविद्यमान ह विद्या के विभित्न रूपोमें  विशेषकर अध्यात्मविद्या विद्याना अध्यात्म की विद्या मेंमैं ही वह ज्ञान हँl जो लोग तक और विचार विमर्श करते हैं वादः प्रवदतामहम् उनके बीच भी मैही प्रकट होता हँज ககசீ#் श्रीकृष्ण यह स्पष्ट इस प्रकार भगवान प्रत्येक स्तर पर, हर प्रकॅार के ज्ञान और परिलक्षित होते है। सर्गाणामादिरन्तश्च मध्यं चैवाहमर्जुन। अध्यात्मविद्या विद्यानां वादः प्रवदतामहम्ा| अर्जन! सृष्टियां का औदि और अंत तथा मध्य भी मैं ही हूँl मै विद्याओं में अध्यात्मविद्या अर्थत् ब्रह्मविद्या और परस्पर विवाद करने चा्लों का तत्व निर्णय के लिए किया जाने चाला वाद ह ||32|| व्यख्यः इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं किः सृष्टियो के सजन पालन औरसंहर का सगणामादस्तश् जा क्रम है उसमेमैहीउनका प्ररंभ और अंतह अथतमैं के प्रारंभ और अंत का कारण ह 3٤ इसक अलावा, मैही सृष्टि के मध्य में भी ೊಳೆ aಾಣರ್ತ उपस्थित ह यानि कि सृष्टि कहर चरण मे उसक हर हिस्से मेमैहीसंपूर्ण रूप सविद्यमान ह विद्या के विभित्न रूपोमें  विशेषकर अध्यात्मविद्या विद्याना अध्यात्म की विद्या मेंमैं ही वह ज्ञान हँl जो लोग तक और विचार विमर्श करते हैं वादः प्रवदतामहम् उनके बीच भी मैही प्रकट होता हँज ககசீ#் श्रीकृष्ण यह स्पष्ट इस प्रकार भगवान प्रत्येक स्तर पर, हर प्रकॅार के ज्ञान और परिलक्षित होते है। - ShareChat

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