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विजय जयसिंग पाटील
*"लहज़ों में बदज़ुबानी* *चेहरे पे नकाब लिए फिरते हैं...* *जिनके खुद के बही खाते बिगड़े हैं...* *वो मेरा हिसाब लिए फिरते हैं..."*
#✍🏽 माझ्या लेखणीतून
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