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#✍🏽 माझ्या लेखणीतून
✍🏽 माझ्या लेखणीतून - कर्म की ताकत जितनी होशियारी करनी हैं कर लों, তিননী करनी है कर लो चतुराई  जितनी बेईमानी करनी है कर लों , जितनी भी फरेबी चालें चलनी हैं चल लो, पर याद रखना, जब कर्म तुम्हारा लौटकर आयेगा। तब बस हैरान मत होना उस दिन घबराणा मत, क्योंकि जो आपने किया हैं, सब कुछ तुम्हें कई गुना लौटकर मिलेगा। कर्म की में देर हो सकती है॰ पर अदालत अंधेर नहीं। जिसने किया है, वही भरगा। कर्म की ताकत जितनी होशियारी करनी हैं कर लों, তিননী करनी है कर लो चतुराई  जितनी बेईमानी करनी है कर लों , जितनी भी फरेबी चालें चलनी हैं चल लो, पर याद रखना, जब कर्म तुम्हारा लौटकर आयेगा। तब बस हैरान मत होना उस दिन घबराणा मत, क्योंकि जो आपने किया हैं, सब कुछ तुम्हें कई गुना लौटकर मिलेगा। कर्म की में देर हो सकती है॰ पर अदालत अंधेर नहीं। जिसने किया है, वही भरगा। - ShareChat

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