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#मेरी कलम से
मेरी कलम से - चिषगी की हक़ीक़त अब समझ आने लगी ٤ जिस चाँद से पहुंचती थी ठंडक कभी उसकी रोशनी अब दिल जलाने लगी है। "चाँद" चिषगी की हक़ीक़त अब समझ आने लगी ٤ जिस चाँद से पहुंचती थी ठंडक कभी उसकी रोशनी अब दिल जलाने लगी है। "चाँद" - ShareChat

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