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विश्व डाक दिवस हर साल 9 अक्टूबर को स्विट्ज़रलैंड में 1874 ई में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह दिन हमारे जीवन में डाक सेवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है,क्योंकि ये सेवाओं लोगों को जोड़ने, संचार को बढ़ावा देने, व्यापार को सक्षम बनाने और विभिन्न देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में मदद करती हैं।विश्व डाक दिवस 2025 का विषय है #PostForPeople: स्थानीय सेवा।वैश्विक पहुँच।डाकघर ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के समुदायों को जोड़ते हैं, स्थानीय सहायता प्रदान करते हुए दुनिया भर के लोगों तक पहुँचते हैं।डाक प्रणालियाँ कई सदियों से चली आ रही हैं। इतिहास में बहुत पहले से ही लोग एक-दूसरे को पत्र भेजते थे।ये पत्र पैदल या घोड़े पर सवार होकर विशेष दूतों द्वारा पहुँचाए जाते थे।1600 ई के दशक से कई देशों में पहली राष्ट्रीय डाक प्रणालियाँ विकसित होने लगीं।ये अधिक संगठित थीं और कई लोग इनका उपयोग कर सकते थे।धीरे-धीरे देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डाक का आदान-प्रदान करने के लिए सहमत हुए।1800 ई के दशक के अंत तक एक वैश्विक डाक सेवा अस्तित्व में थी, लेकिन यह धीमी और जटिल थी।1874 ई में यूपीयू के जन्म ने आज विद्यमान कुशल डाक सेवा का मार्ग प्रशस्त किया।1948 ई में, यूपीयू संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी बन गई।भारत में डाक सेवा की शुरुआत के संबंध में दो महत्वपूर्ण गवर्नर जनरल हुए हैं।वारेन हेस्टिंग्स ने 31 मार्च 1774 ई को कोलकाता में पहला डाकघर स्थापित करके डाक सेवाओं की नींव रखी और लॉर्ड डलहौजी ने 1854 में डाक विभाग की स्थापना करके और डाक टिकटों की शुरुआत करके इसे राष्ट्रीय महत्व का दर्जा दिया और इसे एक आधुनिक, समान डाक सेवा के रूप में विकसित किया।भारत में पोस्ट ऑफिस यानी डाकघर,भारत सरकार के संचार मंत्रालय के अधीन डाक विभाग (Department of Posts) का हिस्सा है,और यह एक सार्वजनिक निगम है। इसका मतलब है कि भारतीय डाक को भारत सरकार ही चलाती है और उसकी मालिक है।📮📮🇮🇳🇮🇳🫡🙏 #world post day #🥰मोटिवेशन वीडियो #🌞 Good Morning🌞 #👍 डर के आगे जीत👌 #🙌 Never Give Up
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