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#राधे कृष्ण कहा कहौं रूप ऐसौ बनौ है सरोवर कौ , तामें सखी बिरजा जू आए कैं विराजी हैं । प्रेम कौ सरोवर ये बनौ है कमल ताल , मिल कैं सखी सों रजरानी मुसकाई हैं ।। प्रेम के सरोवर में बैठे पिय प्यारी दोऊ , प्रेम की तरंग में लहर लहराई है । आए कैं बिराजे गुरूदेव जहां ऐसे मानौं , छोड़ कैं गोलोक मणि पारस की आई है ।। सेवा में लगे हैं गुरूदेव पिय प्यारी जू की , माथे पे तिलक रज चंदन सुहाए हैं । ओढ़ गुदरी कौं सीस लग रहे ऐसे , जैसें श्री गुरूदेव रूप सखी सौ धराए हैं ।। एक हाथ करूआ जी एक हाथ माला सोहे , नैंनन में रस विजिया के झलकाए हैं । ऐसे हैं उदार दास राधिका बिहारी जू के , चुन चुन जल में कमल महकाए हैं ।। रस सौ सरोवर ये भरौ ही रहत सदा , कृपा गुरूदेव ने सदा ही बरसाई है । स्वामी हरिदास जू विराजत सदा ही जहां , रूप के अनूप की तौ कहा ही बडा़ईं है । मोहिनी बिहारी सौं मनावत *मनोहर* ये , टटिया स्थान मोहे सदा ही बुलाइए । बृज में ही वास करौ बृज की ही याद करौ , रजरानी में ये सीस सदा ही झुकाइए ।। .
राधे कृष्ण - Vo Vo - ShareChat

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