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#शहीद दिवस #बलिदान दिवस #🇮🇳 देशभक्ति #इतिहास स्मृति #आज जिनकी पुण्यतिथि है
शहीद दिवस - २५ सितंबर, १९४५ की वो रात जब देश गहरी नींद सो रहा था तब ब्रिटिश सरकार जलियांवाला बाग नरसंहार की तरह एक ओर नरसंहार को अंजाम दे रही थी। तात्कालिक भारतीय नेता जो बाद में भारत सरकार के सर्वेसर्वा बने इस नरसंहार पर मौन बने रहे और तात्कालिक शिक्षाविदो ने तो इस नरसंहार को इतिहास से ही गायब कर दिया। पश्चिम बंगाल का नीलगंज इलाका जहां ब्रिटिश आर्मी कैंप में आजाद हिंद फौज के सैनिकों को बेदर्दी से कत्ल कर दिया गया।२५ सितंबर, १९४५ की रात ब्रिटिश आर्मी ने आजाद हिंद फौज के तकरीबन २ ३०० सैनिकों पर मशीनगन चलाकर उन्हें मार डाला था। ब्रिटिश आर्मी की पूर्वी कमान के मेजर ೫ಗ ಕಥ हत्याकांड की जांच की था। उन्होंने पुष्टि ने इस जनरल 6 ओएमडी लिखा कि हत्याकांड तो हुआ है, लेकिन शव कहां हैं। जीएस इंडियन नेशनल आर्मी के कर्नल ढिल्लन ने अपने एक पत्र में इस हत्याकांड का जिक्र करते हुए लिखा था कि उस रात २ ३०० सैनिकों को मार डाला गया था। अब वहां पर केंद्रीय जूट संस्थान बना है। स्थानीय लोग २५ सितंबर को जब देने आते हैं, तो उन्हें संस्थान के भीतर नहीं जाने दिया 4614 श्रद्धांजलि नीलगंज के लोग संस्थान के गेट के बाहर ही अपने शहीदों तश्रद्धमांजब्लै दे जाता। देकर लौट जाते हैं। को दिए नौआई नदी में फेंक থ থান:- उत्तर २४ परगना स्थित नीलगंज ( बैरकपुर) में आजादी से पहले साहेब बागान था और आर्मी कैंप के साथ यहां ब्रिटिश आर्मी के अफसर भी रहते थे। सितंबर १९४५ में यहां बड़ी संख्या में युद्धबंदी लाए गए। ये सभी आजाद हिंद फौज के सदस्य थे, जिन्हें इंफाल, तत्कालीन बर्मा, नागालैंड और कई जगहों से पकड़ कर लाया गया था। २५ सितंबर की उस काली रात को दूसरी यहां जलियांवाला बाग से कई गुना बड़े हत्याकांड को अंजाम दिया गया। आर्मी कैंप से लेकर नौआई नदी तक खून ही खून बिखरा पड़ा था। कहा नदी में फेंक जाता है कि ब्रिटिश आर्मी ने सैनिकों के अधिकांश शवों को इसी दिया था। 3 शहीद आजाद भगत सिंह ब्रिगेड समाज सुधार समिति. २५ सितंबर, १९४५ की वो रात जब देश गहरी नींद सो रहा था तब ब्रिटिश सरकार जलियांवाला बाग नरसंहार की तरह एक ओर नरसंहार को अंजाम दे रही थी। तात्कालिक भारतीय नेता जो बाद में भारत सरकार के सर्वेसर्वा बने इस नरसंहार पर मौन बने रहे और तात्कालिक शिक्षाविदो ने तो इस नरसंहार को इतिहास से ही गायब कर दिया। पश्चिम बंगाल का नीलगंज इलाका जहां ब्रिटिश आर्मी कैंप में आजाद हिंद फौज के सैनिकों को बेदर्दी से कत्ल कर दिया गया।२५ सितंबर, १९४५ की रात ब्रिटिश आर्मी ने आजाद हिंद फौज के तकरीबन २ ३०० सैनिकों पर मशीनगन चलाकर उन्हें मार डाला था। ब्रिटिश आर्मी की पूर्वी कमान के मेजर ೫ಗ ಕಥ हत्याकांड की जांच की था। उन्होंने पुष्टि ने इस जनरल 6 ओएमडी लिखा कि हत्याकांड तो हुआ है, लेकिन शव कहां हैं। जीएस इंडियन नेशनल आर्मी के कर्नल ढिल्लन ने अपने एक पत्र में इस हत्याकांड का जिक्र करते हुए लिखा था कि उस रात २ ३०० सैनिकों को मार डाला गया था। अब वहां पर केंद्रीय जूट संस्थान बना है। स्थानीय लोग २५ सितंबर को जब देने आते हैं, तो उन्हें संस्थान के भीतर नहीं जाने दिया 4614 श्रद्धांजलि नीलगंज के लोग संस्थान के गेट के बाहर ही अपने शहीदों तश्रद्धमांजब्लै दे जाता। देकर लौट जाते हैं। को दिए नौआई नदी में फेंक থ থান:- उत्तर २४ परगना स्थित नीलगंज ( बैरकपुर) में आजादी से पहले साहेब बागान था और आर्मी कैंप के साथ यहां ब्रिटिश आर्मी के अफसर भी रहते थे। सितंबर १९४५ में यहां बड़ी संख्या में युद्धबंदी लाए गए। ये सभी आजाद हिंद फौज के सदस्य थे, जिन्हें इंफाल, तत्कालीन बर्मा, नागालैंड और कई जगहों से पकड़ कर लाया गया था। २५ सितंबर की उस काली रात को दूसरी यहां जलियांवाला बाग से कई गुना बड़े हत्याकांड को अंजाम दिया गया। आर्मी कैंप से लेकर नौआई नदी तक खून ही खून बिखरा पड़ा था। कहा नदी में फेंक जाता है कि ब्रिटिश आर्मी ने सैनिकों के अधिकांश शवों को इसी दिया था। 3 शहीद आजाद भगत सिंह ब्रिगेड समाज सुधार समिति. - ShareChat

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