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Is kaynat ka maalik yeshu mashi - @Daily Breader जैसे हमने अपराधियों को क्षमा किया प्रभू येशू से हमें हमारे अपराध के लिए मुफ्त में क्षमा मिली है किन्तु हम हमारे अपराधी से माफी की कीमत वसूलना चाहते हैं! अपने अपराधी को क्षमा करने का मतलब उसे अपराध में ही रहने देना नहीं हैः उसे उसके अपराध दिखाकर उसके पाप का एहसास दिलाना है, परंतु उसके विनाश की कामना नहीं करनी है। क्योंकि नीतिवचन २४:१७ १८ कहता है॰ "तेरा शत्रू गिर जाए या ठोकर खाए तो तेरा मन मगन न हो, कही ऐसा न हो कि यह देखकर परमेश्वर तुझसे अप्रसन्न हो जाए। " हमें पवित्रशास्त्र के वचन से उसे सुधारना है, ताकि वो नाश न हो बल्कि सिद्ध हो जाए (२तिमुथियुस ३३१६ १७)| यदि वह किसीकी भी नहीं में प्रार्थना द्वारा सौंप देना है, जो सूनता हो, तो उसे उस न्यायाधीश के हाथों  बचाने और नाश करने के लिए समर्थ है (याकूब ४:१२)| मसीह ने खुद परमेश्वर होकर हमारे अपराधों का बोझ उठाया है, जबकि हम उसके ही अपराधी थे। यदि हम भी किसी अपराधी के लिए ऐसी भावना से प्रभू येशू से मध्यस्थी करे  खुद किये हो! तो हम मसीह की व्यवस्था को पूरी  कि जैसे कि वे अपराध हमने कर सकते हैं (गलतियों ६३२) अन्यथा हम उस निर्दयी दास के समान होेंगे किन्तु जिसपर तरस खाकर उसके स्वामी ने उसका माफ कर दिया  पूरा कर्ज  उसने बाहर आकर अपने कर्जदार को तुरंत अपना कर्ज न चुकाने पर उसकी मारपिटाई करके उसे बन्दीगृह में डलवा दिया! (मत्ती २३:३०)| @Daily Breader जैसे हमने अपराधियों को क्षमा किया प्रभू येशू से हमें हमारे अपराध के लिए मुफ्त में क्षमा मिली है किन्तु हम हमारे अपराधी से माफी की कीमत वसूलना चाहते हैं! अपने अपराधी को क्षमा करने का मतलब उसे अपराध में ही रहने देना नहीं हैः उसे उसके अपराध दिखाकर उसके पाप का एहसास दिलाना है, परंतु उसके विनाश की कामना नहीं करनी है। क्योंकि नीतिवचन २४:१७ १८ कहता है॰ "तेरा शत्रू गिर जाए या ठोकर खाए तो तेरा मन मगन न हो, कही ऐसा न हो कि यह देखकर परमेश्वर तुझसे अप्रसन्न हो जाए। " हमें पवित्रशास्त्र के वचन से उसे सुधारना है, ताकि वो नाश न हो बल्कि सिद्ध हो जाए (२तिमुथियुस ३३१६ १७)| यदि वह किसीकी भी नहीं में प्रार्थना द्वारा सौंप देना है, जो सूनता हो, तो उसे उस न्यायाधीश के हाथों  बचाने और नाश करने के लिए समर्थ है (याकूब ४:१२)| मसीह ने खुद परमेश्वर होकर हमारे अपराधों का बोझ उठाया है, जबकि हम उसके ही अपराधी थे। यदि हम भी किसी अपराधी के लिए ऐसी भावना से प्रभू येशू से मध्यस्थी करे  खुद किये हो! तो हम मसीह की व्यवस्था को पूरी  कि जैसे कि वे अपराध हमने कर सकते हैं (गलतियों ६३२) अन्यथा हम उस निर्दयी दास के समान होेंगे किन्तु जिसपर तरस खाकर उसके स्वामी ने उसका माफ कर दिया  पूरा कर्ज  उसने बाहर आकर अपने कर्जदार को तुरंत अपना कर्ज न चुकाने पर उसकी मारपिटाई करके उसे बन्दीगृह में डलवा दिया! (मत्ती २३:३०)| - ShareChat

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