#मन_की_शांति #असुरक्षा #संदेह
यदि एक पुरूष तुम्हें सुरक्षा नहीं दे पा रहा
या तुम्हारे मन में बार बार शक वाली भावना को पैदा कर रहा तो तुम गलत रिश्तें में बंधी हो, क्योंकि तुम्हारा अंतर्मन इस बात को चीख चीख कर कह रहा है।
अकेले रह जाओ पर गलत रिश्तें में मत बंधों, जहां
ईमानदारी नहीं, सत्यनिष्ठा नहीं। #विजय पाल #📓 हिंदी साहित्य #✍मेरे पसंदीदा लेखक #📖 कविता और कोट्स✒️ #✍️ साहित्य एवं शायरी
![विजय पाल - मन का शांत होना कितना जरूरी है, लोग इसे समझ ही नहीं पाते, खासकर महिलाएं.. यदि आप किसी ऐसे पुरूष के साथ जीवनसाथी के रूप में रह रही हैं जहां आपके मन में बार -्बार संदेह और असुरक्षा का भाव है,तो आप एक गलत रिश्तें में बंधी है क्योंकि जहां रिश्तें आ रहा मजबूत और परिपक्व होते हैं वहां संदेह और असुरक्षा का होता है न कि और बढ़ता है। इससे आप अपनी देह में भाव ख़त्म कार्टिसोल हार्मोन अर्थात स्ट्रेस के हार्मोन्स को बढ़ाती है और अपने दैनिक जीवन के काम को भी सहजता से नहीं कर पाती, को मुक्त कीजिए। 424 इसलिए ऐसे रिश्तों Life With] Geerisha मन का शांत होना कितना जरूरी है, लोग इसे समझ ही नहीं पाते, खासकर महिलाएं.. यदि आप किसी ऐसे पुरूष के साथ जीवनसाथी के रूप में रह रही हैं जहां आपके मन में बार -्बार संदेह और असुरक्षा का भाव है,तो आप एक गलत रिश्तें में बंधी है क्योंकि जहां रिश्तें आ रहा मजबूत और परिपक्व होते हैं वहां संदेह और असुरक्षा का होता है न कि और बढ़ता है। इससे आप अपनी देह में भाव ख़त्म कार्टिसोल हार्मोन अर्थात स्ट्रेस के हार्मोन्स को बढ़ाती है और अपने दैनिक जीवन के काम को भी सहजता से नहीं कर पाती, को मुक्त कीजिए। 424 इसलिए ऐसे रिश्तों Life With] Geerisha - ShareChat विजय पाल - मन का शांत होना कितना जरूरी है, लोग इसे समझ ही नहीं पाते, खासकर महिलाएं.. यदि आप किसी ऐसे पुरूष के साथ जीवनसाथी के रूप में रह रही हैं जहां आपके मन में बार -्बार संदेह और असुरक्षा का भाव है,तो आप एक गलत रिश्तें में बंधी है क्योंकि जहां रिश्तें आ रहा मजबूत और परिपक्व होते हैं वहां संदेह और असुरक्षा का होता है न कि और बढ़ता है। इससे आप अपनी देह में भाव ख़त्म कार्टिसोल हार्मोन अर्थात स्ट्रेस के हार्मोन्स को बढ़ाती है और अपने दैनिक जीवन के काम को भी सहजता से नहीं कर पाती, को मुक्त कीजिए। 424 इसलिए ऐसे रिश्तों Life With] Geerisha मन का शांत होना कितना जरूरी है, लोग इसे समझ ही नहीं पाते, खासकर महिलाएं.. यदि आप किसी ऐसे पुरूष के साथ जीवनसाथी के रूप में रह रही हैं जहां आपके मन में बार -्बार संदेह और असुरक्षा का भाव है,तो आप एक गलत रिश्तें में बंधी है क्योंकि जहां रिश्तें आ रहा मजबूत और परिपक्व होते हैं वहां संदेह और असुरक्षा का होता है न कि और बढ़ता है। इससे आप अपनी देह में भाव ख़त्म कार्टिसोल हार्मोन अर्थात स्ट्रेस के हार्मोन्स को बढ़ाती है और अपने दैनिक जीवन के काम को भी सहजता से नहीं कर पाती, को मुक्त कीजिए। 424 इसलिए ऐसे रिश्तों Life With] Geerisha - ShareChat](https://cdn4.sharechat.com/bd5223f_s1w/compressed_gm_40_img_976987_3b5e3adc_1763586975123_sc.jpg?tenant=sc&referrer=pwa-sharechat-service&f=123_sc.jpg)
