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गज़ल शकील #✒ शायरी
✒ शायरी - शकील बदायूनी मिरे हम-्नफ़स मिरे हम-्नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे मैं हूँ दर्द-ए- इश्क़ से जॉँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दु॰आ न दे मिरे   दाग़-ए-दिल से है रौशनी इसी रौशनी से है जिंदगी मुझे   डर है ऐ मिरे R&T-T 4  4 ೯೫ चराग़ gg मुझे   छोड़ दे मिरे हाल पर   तिरा qా ?TIT   గ్డ్ీ चारा - गर तिरी   नवाज़िश -ए-मुख़्तसर मिरा   दर्द   और 4 न दे बढा इतना   बुलंद है कि॰ पराए   शो।्लों का डर  नहीं मिरा 'अज़्म मुझे ख़ौफ़ आतिश-ए-गुल से है ये कहीं चमन को जला न दे वो उठे हैं ले के ख़ुम -ओ - सुबू अरे ओ ' शकील कहाँ है तू নিয   তাম   লন   কী  बज़्म   में कोई   और दे हाथ न बढा शकील बदायूनी मिरे हम-्नफ़स मिरे हम-्नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे मैं हूँ दर्द-ए- इश्क़ से जॉँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दु॰आ न दे मिरे   दाग़-ए-दिल से है रौशनी इसी रौशनी से है जिंदगी मुझे   डर है ऐ मिरे R&T-T 4  4 ೯೫ चराग़ gg मुझे   छोड़ दे मिरे हाल पर   तिरा qా ?TIT   గ్డ్ీ चारा - गर तिरी   नवाज़िश -ए-मुख़्तसर मिरा   दर्द   और 4 न दे बढा इतना   बुलंद है कि॰ पराए   शो।्लों का डर  नहीं मिरा 'अज़्म मुझे ख़ौफ़ आतिश-ए-गुल से है ये कहीं चमन को जला न दे वो उठे हैं ले के ख़ुम -ओ - सुबू अरे ओ ' शकील कहाँ है तू নিয   তাম   লন   কী  बज़्म   में कोई   और दे हाथ न बढा - ShareChat

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