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#✒ शायरी
✒ शायरी - 3 Khan 4 "नही है ये ख्वाहिश. कि इस जहाँ..या..उस जहाँ में. पनाह मिले!! बस इतना करम कर..."ऐ खुदा , कोई ऐसा मिले... जिससे प्यार बेपनाह मिले.!!!" 3 Khan 4 "नही है ये ख्वाहिश. कि इस जहाँ..या..उस जहाँ में. पनाह मिले!! बस इतना करम कर..."ऐ खुदा , कोई ऐसा मिले... जिससे प्यार बेपनाह मिले.!!!" - ShareChat

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