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saturdaymotivation - संत रामपाल जी महाराज द्वारा गीता के रहरस्यौ का सलासा श्रीमद्भगवत गीता अध्याय १५ श्लोक १६ १७ में तीन पुरूष (प्रभु) कहे हैं। गीता अध्याय १५ श्लोक १६ में कहा है कि इस लोक में दो पुरूष प्रसिद्घ हैं : क्षर पुरूष तथा अक्षर पुरूष। ये दोनों प्रभु तथा इनके अन्तर्गत सर्व प्राणी नाशवान हैं आत्मा तो सबकी अमर है। गीता अध्याय १५ श्लोक १७ में कहा है कि उत्तम पुरूष अर्थात् पुरूषोत्तम तो कोई अन्य ही है जिसे परमात्मा कहा गया हैजो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण पोषण करता है॰ वह वास्तव में अविनाशी है। अविनाशी परमत्म की जानकारी के लिए पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान   गंगा | संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download कीजिये नामदीक्षा व निःशुल्क  নি:থুল্কে    पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : +91 7496801823 Google Play संत रामपाल जी महाराज द्वारा गीता के रहरस्यौ का सलासा श्रीमद्भगवत गीता अध्याय १५ श्लोक १६ १७ में तीन पुरूष (प्रभु) कहे हैं। गीता अध्याय १५ श्लोक १६ में कहा है कि इस लोक में दो पुरूष प्रसिद्घ हैं : क्षर पुरूष तथा अक्षर पुरूष। ये दोनों प्रभु तथा इनके अन्तर्गत सर्व प्राणी नाशवान हैं आत्मा तो सबकी अमर है। गीता अध्याय १५ श्लोक १७ में कहा है कि उत्तम पुरूष अर्थात् पुरूषोत्तम तो कोई अन्य ही है जिसे परमात्मा कहा गया हैजो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण पोषण करता है॰ वह वास्तव में अविनाशी है। अविनाशी परमत्म की जानकारी के लिए पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान   गंगा | संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download कीजिये नामदीक्षा व निःशुल्क  নি:থুল্কে    पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : +91 7496801823 Google Play - ShareChat

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