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क्या आप जानते हैं कि वेद—चारों ग्रन्थों का समुच्चय—लगभग 20,379 मन्त्रों का संग्रह है और इसकी सबसे पुरानी परत (विशेषकर ऋग्वेद) लगभग 1500–1200 ई.पू. तक जाती है, पर वे केवल पुरातन ग्रंथ नहीं बल्कि एक अद्वितीय मौखिक-स्मृति व ध्वनि-विज्ञान (शिक्षा, Pratishakhya, घना-पाठ) का जीवित तंत्र हैं जिसने सैकड़ों पीढ़ियों तक अक्षुण्ण संरक्षण सम्भव किया; वैज्ञानिक तर्क यह है कि शास्त्रीय शिख़्षा-नियम, छंद और रिद्मिक-दोहराव (जो आधुनिक मेमोरी-साइंस के रिद्म + रिपीट + मल्टी-सेंसरी एन्कोडिंग सिद्धांतों से मेल खाते हैं) ने लिखित प्रतियों के आने से पहले भी उच्च-स्तरीय सूचना-सुरक्षा दी, और इसलिए वेद आज भी ध्वनि-शुद्धि के लिए पढ़े जाते हैं न कि सिर्फ़ अर्थ के लिए; एक मुक्त उद्धरण (ऋग्वेद 1.1) — "अग्निमीळे पुरोहितं यज्ञस्य देवम् ऋत्विजम्" — दिखाता है कि भाषा, अग्नि और कर्म का गहरा प्राचीन संबंध था; साथ ही तर्कसंगत धार्मिक विश्लेषण बताता है कि सभी परंपराएँ वेदों को समान रूप से प्राधिकृत नहीं मानतीं (बुद्ध/जैन/चार्वाक जैसी शैक्षिक धाराएँ अलग रुख रखती थीं), इसलिए ऐतिहासिक-विज्ञान और ध्वनि-तकनीक के आधार पर जो सत्य है उसे स्वीकारना और जो अनावश्यक है उसे अलग करना ही बुद्धिमान रास्ता है। 🔥📜🧠✨🙏 #वेद #Rigveda #श्रुति #Shiksha #VedicScience #AncientWisdom @ वेद कुमार मारकंडे @वेदांत @वेदभाइ।करमूर @वेदांत माने @वेदांत घाडी #वेद #नवगजिया वेद क्या जाने #वेद और वेदना # भाई लोधी समाज संगठन वेद लोधी ठा superstar #वेद प्रकाश तोमर
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