ShareChat
click to see wallet page
#satnam waheguru
satnam waheguru - Hukmnama 29/11/25 धन धन श्री गुरु रामदास 489 गूजरी Il नाभि कमल ते ब्रहमा उपजे बेद महला १ पड़हि मुखि कंठि सवारि ता को अंतु न जाई I लखणा आवत जात रहै गुबारि II? Il में कथा आती है कि जिस ब्रहमा के रचे हुए) 3থ: (पुराणों वेद (पण्डित लोग) मुंह से गले से मीठी सुर में नित्य पढ़ते विष्णु  8, की नाभि में से उगे हुए कमल की वह ब्रहमा नालि से पैदा हुआ अपने जन्म दाते की (और कुदरति का ढूँढने के लिए उस नालि में चल पडा, कई युग उस अंत नालि के) अंधेरे में ही आता जाता रहा, पर उसका अंत ना ढूँढ सका।१ । प्रीतम किउ बिसरहि मेरे प्राण अधार তা করী I भगति करहि जन पूरे मुनि जन सेवहि गुर वीचारि II १Il रहाउ।। अर्थः हे मेरी जिंदगी के आसरे प्रीतम! मुझे ना भूल तू वह है जिसकी भक्ति पूरन पुरख सदा करते रहते हैं, जिसे ऋषि ्मुनि गुरु की बताई हुई समझ के आसरे सदा स्मरण करते हैं।१| रहाउ। Hukmnama 29/11/25 धन धन श्री गुरु रामदास 489 गूजरी Il नाभि कमल ते ब्रहमा उपजे बेद महला १ पड़हि मुखि कंठि सवारि ता को अंतु न जाई I लखणा आवत जात रहै गुबारि II? Il में कथा आती है कि जिस ब्रहमा के रचे हुए) 3থ: (पुराणों वेद (पण्डित लोग) मुंह से गले से मीठी सुर में नित्य पढ़ते विष्णु  8, की नाभि में से उगे हुए कमल की वह ब्रहमा नालि से पैदा हुआ अपने जन्म दाते की (और कुदरति का ढूँढने के लिए उस नालि में चल पडा, कई युग उस अंत नालि के) अंधेरे में ही आता जाता रहा, पर उसका अंत ना ढूँढ सका।१ । प्रीतम किउ बिसरहि मेरे प्राण अधार তা করী I भगति करहि जन पूरे मुनि जन सेवहि गुर वीचारि II १Il रहाउ।। अर्थः हे मेरी जिंदगी के आसरे प्रीतम! मुझे ना भूल तू वह है जिसकी भक्ति पूरन पुरख सदा करते रहते हैं, जिसे ऋषि ्मुनि गुरु की बताई हुई समझ के आसरे सदा स्मरण करते हैं।१| रहाउ। - ShareChat

More like this