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विजय जयसिंग पाटील
*सिर्फ संतोष ढूँढिये, आवश्यकताएं तो कभी समाप्त नही होंगी...”॥* *गलत सोच और गलत अंदाजा* *इंसान को हर रिश्ते से* *गुमराह कर देता है*. Jsk Radha Krishna ☕ शुभ संध्या ☕
#✍🏽 माझ्या लेखणीतून
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