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गज़ल #✒ शायरी
✒ शायरी - पीरज़ादा  क़ासीम न  पूछिए  कि कहा   क्या है  अन-कही 8 क्या सुख़नवरी  8 झेल 8 अज़ाब 7గT क्या अजब है ज़ौक़-ए-्तमाशा कि घर जला लोग कर ೯ रौशनी 8 चाहते 4 f4 क्या समझना अगर मक़्सद-ए-्हयात तो फिर Dಾ-೯-೯೬ ೯ जिंदगी 8 4 है அ ज़ीस्त गुज़ारी ٦؟ मैं   मुल्तजी हूँ न वो   मुल्तफ़ित फिर সী मगर 4 ೯ दिलों క్తైక్టే 7 বমা ஈ एक आग मैं दिल के दाग़ दिखाऊँ कि ज़ख़्म-ए-्सर उन को मफ़्हूम -ए -दोस्ती जो पूछते ঔ   কি है क्या पीरज़ादा  क़ासीम न  पूछिए  कि कहा   क्या है  अन-कही 8 क्या सुख़नवरी  8 झेल 8 अज़ाब 7గT क्या अजब है ज़ौक़-ए-्तमाशा कि घर जला लोग कर ೯ रौशनी 8 चाहते 4 f4 क्या समझना अगर मक़्सद-ए-्हयात तो फिर Dಾ-೯-೯೬ ೯ जिंदगी 8 4 है அ ज़ीस्त गुज़ारी ٦؟ मैं   मुल्तजी हूँ न वो   मुल्तफ़ित फिर সী मगर 4 ೯ दिलों క్తైక్టే 7 বমা ஈ एक आग मैं दिल के दाग़ दिखाऊँ कि ज़ख़्म-ए-्सर उन को मफ़्हूम -ए -दोस्ती जो पूछते ঔ   কি है क्या - ShareChat

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