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#राधे राधे नन्द के लाल हरयो मन मोर । हौं अपने मोतिन लर पोवत कांकर डारि गयौ सखि भोर ॥ बंक बिलोकनि चाल छबीली रसिक शिरोमणि नन्दकिशोर । कहि कैसे मन रहत श्रवन सुनि सरस् मधुर मुरली की घोर ॥ इन्दु गोविन्द बदन के कारण चितवन कौ भये नैन चकोर । . .
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