मुक्तक _ अंदर की विजय।
देना दुख किसी को सोच भी लिया समझो खुद को दुखी पहले कर लिया।
मारना जो चाहा किसी को जान से समझो खुद को मृत पहले कर लिया।
लड़ना बाहर बेकार है लड़ते लड़ते थक जाओगे जीत न पाओगे तुम।
जीत लिया अंदर के विकारो बुराइयों को समझो विजय पहले कर लिया।
श्याम कुंवर भारती। #✍प्रेमचंद की कहानियां #💔दर्द भरी कहानियां #📚कविता-कहानी संग्रह #🇮🇳मेरा भारत, मेरी शान

