ShareChat
click to see wallet page
#✒ गुलज़ार की शायरी 🖤 #🎙️मशहूर शायरों की शायरी✍️ #📚कविता-कहानी संग्रह #📒 मेरी डायरी #✍️ साहित्य एवं शायरी
✒ गुलज़ार की शायरी 🖤 - लहज़ा समझ आ जाता है मुझे हर किसी का, उन्हें शर्मिंदा करना मेरे নম मिर्जाज़ में नहीं है..! ७७० लहज़ा समझ आ जाता है मुझे हर किसी का, उन्हें शर्मिंदा करना मेरे নম मिर्जाज़ में नहीं है..! ७७० - ShareChat

More like this