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#✍️ अनसुनी शायरी
✍️ अनसुनी शायरी - तक सीमित नहीं रही, बुढ़ापे मृत्यु मृत्यु अब हर उम्र में मौजूद है ! 70[ @I6TU ssch तक सीमित नहीं रही, बुढ़ापे मृत्यु मृत्यु अब हर उम्र में मौजूद है ! 70[ @I6TU ssch - ShareChat

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