लेडी मेहरबाई टाटा की विरासत उनके व्यक्तित्व की एक अलग छाप छोड़ती है — उनके विचारों में साहस था और उनके कार्यों में स्वतंत्रता।
अपनी शिक्षा से सशक्त होकर और अपने पति सर दोराबजी टाटा के सहयोग से, उन्होंने महिलाओं के स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई प्रगतियों की अगुवाई की।
नेशनल काउंसिल ऑफ वीमेन इन इंडिया और बॉम्बे प्रेसीडेंसी वीमेन काउंसिल के साथ अपने काम के ज़रिए, उन्होंने पर्दा प्रथा और बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज़ उठाई।
वे औपनिवेशिक भारत में महिलाओं के अधिकारों की शुरुआती समर्थकों में से एक थीं।
उनकी 146वीं जयंती पर हम उनके जीवन को न सिर्फ़ असाधारण, बल्कि उद्देश्यपूर्ण और दयालु भी याद करते हैं।
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