“अगर आप असली और मौजूद संस्कृतियों को देखें, तो वहाँ सिर्फ ‘एक ही दिशा’ वाली सोच नहीं होती। यह दो-तरफा या कई दिशाओं वाली होती है। हर कोई एक-दूसरे से सीखता है और एक-दूसरे से चीज़ें अपनाता है। हमें भी एक-दूसरे से बहुत कुछ सीखना है, जो ‘एक-तरफा’ सोच में संभव नहीं,” ऐसा कहते हैं जेम्स रॉबिनसन (सवेरीजेस रिक्सबैंक प्राइज इन इकोनॉमिक साइंसेज़, 2024 के प्राप्तकर्ता)। वे यह बात अपनी प्रस्तुति ‘द ओरिजिन्स ऑफ़ प्रॉस्पेरिटी एंड प्रोग्रेस’ में समझाते हैं।
नोबेल प्राइज डायलॉग इंडिया 2025 में, जो टाटा ट्रस्ट्स के विशेष साझेदारी में आयोजित हुआ, उन्होंने ज़ोर दिया कि विकास की शुरुआत बातचीत से होती है—और आज के युवाओं को आगे आकर आत्मविश्वास के साथ नेतृत्व करने के लिए प्रेरित किया।
जेम्स रॉबिनसन को सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें: https://www.youtube.com/live/5j4V1gKBsgM?si=a2hL9p60_If7yej-&t=3373
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