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#🖋ग़ालिब की शायरी
🖋ग़ालिब की शायरी - इससे पहले के कोई और उड़ा ले जाए जिसके हाथों से गिरे हैं वो उठा ले जाए इन दिनों देख मेरी जान मेरी आँखों में इतना पानी है के सब ख़ाब बहा ले जाए 42 के बिखरे हैं सो इसकी मर्ज़ी शाख़ ख़ुश्क़ पत्तों को जिधऱ चाहे हवा ले जाए इससे पहले के कोई और उड़ा ले जाए जिसके हाथों से गिरे हैं वो उठा ले जाए इन दिनों देख मेरी जान मेरी आँखों में इतना पानी है के सब ख़ाब बहा ले जाए 42 के बिखरे हैं सो इसकी मर्ज़ी शाख़ ख़ुश्क़ पत्तों को जिधऱ चाहे हवा ले जाए - ShareChat

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