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#यथार्थ_गीता_ज्ञान 🎉गीता अध्याय 18, श्लोक 62 “हे अर्जुन! तू सब प्रकार से उस परम ईश्वर की ही शरण में जा। उस परमपिता परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति और शाश्वत स्थान- सतलोक (स्थान-धाम) को प्राप्त होगा”। ’सब प्रकार से’ का अर्थ कोई अन्य पूजा नहीं करना बल्कि मन-कर्म-वचन से केवल एक भगवान में विश्वास रखना है।
यथार्थ_गीता_ज्ञान - ১যীনা গ্মান गीता अध्याय १८ श्लोक ६२ अध्याय १८ का श्लोक ६२ हे भारत! तू सब प्रकार से उस परमेश्वर की की ही शरण में जा। उस परमात्मा की कृपा तम् एव शरणम् गच्छ सर्वभावेन भारत से ही तू परम शान्ति को तथा सदा रहने तत्प्रसादात् पराम् शान्तिम् स्थानम् प्राप्स्यसि, शाश्वतम्। ।६२।।  वाले सतलोक को प्राप्त होगा| अनुवादः ( भारत) हे भारत! तू ( सर्वभावेन) सब प्रकारसे (तम्) उस परमेश्वरकी ( एव) ही (शरणम् ) शरणमें संत रामपाल जी महाराज जी से (गच्छ) जा। (तत्प्रसादात् ) उस परमात्माकी कृपा से ही निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क  तू (पराम् ) परम (शान्तिम्) शान्तिको तथा (शाश्वतम्) संपर्क सूत्र : +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये सदा रहने वाला सत (स्थानम्) स्थान।धाम / लोक को अर्थात् सत्लोक को (प्राप्स्यसि) प्राप्त होगा। (६२) ১যীনা গ্মান गीता अध्याय १८ श्लोक ६२ अध्याय १८ का श्लोक ६२ हे भारत! तू सब प्रकार से उस परमेश्वर की की ही शरण में जा। उस परमात्मा की कृपा तम् एव शरणम् गच्छ सर्वभावेन भारत से ही तू परम शान्ति को तथा सदा रहने तत्प्रसादात् पराम् शान्तिम् स्थानम् प्राप्स्यसि, शाश्वतम्। ।६२।।  वाले सतलोक को प्राप्त होगा| अनुवादः ( भारत) हे भारत! तू ( सर्वभावेन) सब प्रकारसे (तम्) उस परमेश्वरकी ( एव) ही (शरणम् ) शरणमें संत रामपाल जी महाराज जी से (गच्छ) जा। (तत्प्रसादात् ) उस परमात्माकी कृपा से ही निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क  तू (पराम् ) परम (शान्तिम्) शान्तिको तथा (शाश्वतम्) संपर्क सूत्र : +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये सदा रहने वाला सत (स्थानम्) स्थान।धाम / लोक को अर्थात् सत्लोक को (प्राप्स्यसि) प्राप्त होगा। (६२) - ShareChat

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