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#✒ गुलज़ार की शायरी 🖤 #🎤 महफिल ए शायरी #guljar ki shayari #Gulzar ki shyari #🎙️मशहूर शायरों की शायरी✍️
✒ गुलज़ार की शायरी 🖤 - दुआ में जब, जम्हाई ले रहा था मैं  दुआ के इस अमल से थक गया हूँ मैं ! मैं जब से देख सुन रहा हूँ, तब से याद है मुझे, खुदा जला बुझा रहा है रात दिन, खुदा के हाथ में है सब बुरा भला- दुआ करो ! अजीब सा अमल है ये ये एक फ़र्जी गुफ़्तगू दुआ में जब, जम्हाई ले रहा था मैं  दुआ के इस अमल से थक गया हूँ मैं ! मैं जब से देख सुन रहा हूँ, तब से याद है मुझे, खुदा जला बुझा रहा है रात दिन, खुदा के हाथ में है सब बुरा भला- दुआ करो ! अजीब सा अमल है ये ये एक फ़र्जी गुफ़्तगू - ShareChat

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